सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट को संवैधानिक मानते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राज्य के मदरसों को बंद करने और छात्रों को अन्य स्कूलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था। इस फैसले से यूपी के 16,000 मदरसों में पढ़ रहे 13 लाख छात्रों और 10,000 शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को मदरसा शिक्षा को नियंत्रित करने का अधिकार है और इसे पूरी तरह से रद्द नहीं किया जा सकता। इस फैसले के बाद यूपी के मदरसे अपनी शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से जारी रख सकेंगे।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मदरसा शिक्षा एक्ट को संवैधानिक करार देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राज्य के मदरसों को बंद करने का निर्देश दिया गया था। इस फैसले से यूपी के लगभग 16,000 मदरसों में पढ़ाई कर रहे 13 लाख छात्रों और 10,000 शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है।
मदरसा शिक्षा एक्ट का महत्व
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड का गठन 2004 में किया गया था, और इसका उद्देश्य राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को सुव्यवस्थित करना था। इस एक्ट के तहत, मदरसों को एक संरचित पाठ्यक्रम के अनुसार संचालित करने का आदेश दिया गया, जिसमें पारंपरिक इस्लामी शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक विषयों को भी समाविष्ट किया गया था।
हाई कोर्ट का विवादास्पद आदेश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मार्च 2023 में इस एक्ट को असंवैधानिक करार देते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया था कि सभी मदरसा छात्रों को अन्य सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित किया जाए। इस फैसले से 17 लाख मदरसा छात्रों और 10,000 शिक्षकों पर असर पड़ सकता था, जिनमें से कई छात्र धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ अन्य विषयों की भी पढ़ाई कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
मदरसा संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी कि हाई कोर्ट का आदेश इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और शैक्षिक संरचना को नुकसान पहुंचाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली और मदरसा शिक्षा व्यवस्था सुचारु रूप से चलने की संभावना बनी रही।
सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है, और यहां धार्मिक शिक्षा को अनदेखा नहीं किया जा सकता। मदरसों और अन्य धार्मिक शिक्षा संस्थाओं के लिए एक वैधानिक ढांचा होना जरूरी है, ताकि छात्रों को गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल सके। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के पास मदरसा शिक्षा को नियंत्रित करने का अधिकार है, और इसे पूरी तरह से रद्द करना उचित नहीं होगा।
अंतिम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को मदरसा एक्ट के कुछ हिस्सों पर पुनः विचार करने का निर्देश दिया, लेकिन पूरी तरह से इसे खारिज करने का आदेश नहीं दिया। इसके परिणामस्वरूप, यूपी में 16,000 से ज्यादा मदरसे अपने नियमित पाठ्यक्रमों और शिक्षण कार्य को जारी रख सकेंगे।
मुख्य बिंदु:
- यूपी के 16,000 मदरसों में 13 लाख छात्र और 10,000 शिक्षक प्रभावित होंगे।
- सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश रद्द किया।
- यूपी मदरसा एक्ट को संवैधानिक माना गया।
- मदरसा शिक्षा को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर रहेगी।
- राज्य सरकार को मदरसा शिक्षा में सुधार करने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला यूपी में मदरसा शिक्षा के भविष्य के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है, जिससे राज्य में मदरसों के संचालन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।