मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में अब भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार बन गए हैं, क्योंकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने चुनाव में भाग न लेने का फैसला किया है। पहले पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार रहे रामगोपाल कोरी को मैदान में उतारने की योजना बनाई थी, लेकिन पार्टी सुप्रीमो मायावती ने 23 नवंबर को हुए उपचुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद यह ऐलान किया कि बसपा अब किसी भी उपचुनाव में भाग नहीं लेगी।
बसपा का आरोप है कि चुनावों में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग हो रहा है, और जब तक चुनाव आयोग इससे संबंधित सख्त कदम नहीं उठाता, तब तक वह उपचुनावों से दूर रहेगी। इसके अलावा, पार्टी ने अपना पूरा ध्यान दिल्ली विधानसभा चुनाव पर केंद्रित किया है, जहां बसपा ने इंडिया गठबंधन के दलों की अंदरूनी उठापटक को उजागर कर अपनी रणनीति तैयार की है।
इसी बीच, मिल्कीपुर उपचुनाव में सपा ने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को उम्मीदवार घोषित किया है, जबकि भाजपा ने अपने प्रत्याशी के नाम का खुलासा नहीं किया है। हालाँकि, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने भी अपनी किस्मत आजमाने का फैसला लिया है, जिससे मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है। कांग्रेस ने मिल्कीपुर उपचुनाव में सपा को समर्थन देने का एलान किया है, जिससे इस चुनाव में एक नया मोड़ आ सकता है।
बसपा अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा कि दिल्ली चुनाव में दलित और ओबीसी वोटरों को यह समझाया जाएगा कि किस तरह कांग्रेस, सपा और आम आदमी पार्टी उनके साथ धोखा कर रही हैं। उनका कहना है कि दिल्ली में दलित और ओबीसी नेताओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा, जबकि इन पार्टियों ने सिर्फ वोट हासिल करने के लिए उन्हें छलने की राजनीति की है।
मिल्कीपुर उपचुनाव अब सपा और भाजपा के बीच एक कड़ा संघर्ष बन सकता है, जबकि बसपा अपनी दिल्ली चुनावी रणनीति में व्यस्त है।
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