प्रधानमंत्री की सीतामढ़ी और बेतिया यात्रा के अवसर पर बिहारियों ने केंद्र सरकार से PM-MITRA योजना, धार्मिक उपेक्षा और रद्द हुई रेल परियोजनाओं पर सवाल उठाए।
NDA के 20 साल के शासन के बाद भी जब प्रधानमंत्री बिहार की धरती पर आते हैं, तो बिहारियों के लिए सिर्फ़ कट्टा, सिक्सर और गोली याद आते हैं, जबकि विकास के नाम पर केवल फ़र्जी वादे और धोखा मिलता है। आज पीएम सीतामढ़ी और बेतिया पहुँच रहे हैं, लेकिन बिहारियों के पास उनसे तीन सीधे सवाल हैं।
1. PM-MITRA योजना में बिहार का बहिष्कार:
2021-22 में 7 मेगा टेक्सटाइल पार्क बनाने की घोषणा हुई, लेकिन बिहार का नाम नहीं लिया गया। कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह बिहार से होने के बावजूद राज्य के लिए कोई टेक्सटाइल पार्क नहीं ला सके। लोकसभा में फरवरी 2025 में जवाब में कहा गया कि “बिहार से कोई प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हुआ और 2027-28 तक योजना नहीं है।”
2. धार्मिक उपेक्षा और सांस्कृतिक अपमान:
12 अप्रैल 2017 को राज्यसभा में भाजपा सरकार ने कहा कि “माता सीता का सीतामढ़ी में जन्म नहीं हुआ।” कांग्रेस सरकार के समय 2011-13 में रामायण सर्किट बनाकर धार्मिक स्थलों को विकसित किया गया था। भाजपा सरकार में PRASHAD और Swadesh Darshan योजनाओं में सीतामढ़ी उपेक्षित रही।

3. मोतीहारी-शिवहर-सीतामढ़ी रेल लाइन परियोजना रद्द:
सालों की मांग के बावजूद 7 अगस्त 2024 को रेल मंत्रालय ने कम ट्रैफिक प्रोजेक्शन बताकर परियोजना रद्द कर दी। सीतामढ़ी धार्मिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
बिहार की जनता 20 सालों से BJP-JDU के झूठे वादों और भेदभाव को झेल रही है और इस बार बदलाव के लिए मतदान करेगी।
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