इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपहरण मामलों में पुलिस की निष्क्रियता और जवाबदेही की कमी पर सख्त नाराज़गी जताई है। कोर्ट ने कहा कि अधिकारी अपनी छवि तो संवारते हैं, लेकिन पीड़ित की शिकायतों पर ध्यान नहीं देते। न्यायालय ने वाराणसी के पुलिस आयुक्त से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि 31 मार्च से लापता युवक का अब तक कोई सुराग क्यों नहीं लग पाया। कोर्ट ने इस मामले में संबंधित थाना प्रभारी को भी जिम्मेदार ठहराने की बात कही है, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराई न जाए।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि वे अक्सर खुद की "बड़ी छवि" बनाने में लगे रहते हैं, लेकिन आम जनता की शिकायतों के समाधान से बचते हैं। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अपहरण जैसे गंभीर मामलों में पुलिस की निष्क्रियता और जिम्मेदारी तय न होने के कारण कई बार समय रहते अगवा व्यक्ति का पता नहीं चल पाता, जिससे उसकी हत्या तक हो जाती है।
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति अनिल कुमार की खंडपीठ ने वाराणसी निवासी नितेश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिका में बताया गया कि नितेश का भाई 31 मार्च 2025 से लापता है और उन्होंने अपहरण की आशंका जताकर पुलिस में रिपोर्ट दी थी। पुलिस ने 3 अप्रैल को एफआईआर दर्ज की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
कोर्ट ने वाराणसी के पुलिस आयुक्त से व्यक्तिगत हलफनामा तलब करते हुए पूछा है कि अभी तक अगवा व्यक्ति का सुराग क्यों नहीं मिला। साथ ही, यह भी निर्देश दिया कि जिस थाना क्षेत्र में एफआईआर दर्ज हुई है, वहां के संबंधित पुलिस अधिकारी को भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिनमें पुलिस की उदासीनता के चलते पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता। कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है।
एटीएम धोखाधड़ी मामले में हाईकोर्ट का इनकार: मुकदमा रद्द नहीं होगा
एक अन्य फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एटीएम धोखाधड़ी के आरोपी की याचिका खारिज करते हुए मुकदमा रद्द करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति अनिल कुमार की खंडपीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में गहन जांच आवश्यक है, और कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं कर सकती।
यह मामला मुजफ्फरनगर के नसरुद्दीन और अन्य आरोपियों से जुड़ा है, जिन पर 18 दिसंबर 2024 को एटीएम बूथ में एक व्यक्ति का पिन देखकर उसका कार्ड बदलकर धोखे से रुपये निकालने का आरोप है। पीड़ित को घर जाकर मोबाइल मैसेज के जरिए धोखाधड़ी की जानकारी मिली, जिसके बाद उसने मुकदमा दर्ज कराया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रथम दृष्टया मामला गंभीर है और इसमें जांच की जरूरत है, इसलिए आरोपियों की याचिका को खारिज किया जाता है।
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