झारखंड में कुड़मी समाज ने आदिवासी दर्जे की माँग को लेकर रेल रोको आंदोलन शुरू कर दिया है। रांची, बोकारो और गिरिडीह समेत कई जिलों में ट्रैक पर भीड़ उतर आई। कई ट्रेनें रद्द, डायवर्ट और आंशिक रूप से शुरू की गईं।
झारखंड में कुड़मी समाज ने आदिवासी दर्जे की अपनी पुरानी माँग को लेकर 20 सितंबर से रेल रोको आंदोलन शुरू कर दिया है। आदिवासी कुड़मी समाज मंच के आह्वान पर सुबह से ही रांची, बोकारो, गिरिडीह और आसपास के जिलों में लोग ट्रैक पर उतर आए, जिससे रेल परिचालन पूरी तरह बाधित हो गया।
रांची रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारी झंडे लेकर ट्रैक पर बैठ गए, जबकि मूरी और छोटे स्टेशनों पर सुबह 4 बजे से ही कब्जा कर लिया गया। पुलिस की बैरिकेडिंग भीड़ को रोक नहीं सकी।

इस आंदोलन का सीधा असर ट्रेनों पर पड़ा। हटिया-बर्द्धमान मेमू (13504), हटिया-खड़गपुर मेमू (18036), बरवाडीह-गोमो पैसेंजर और बीडीएम 53357 पैसेंजर को रद्द कर दिया गया। बरकाकाना-वाराणसी पैसेंजर को कोले स्टेशन पर रोक दिया गया। वहीं, धनबाद-आलप्पुझा एक्सप्रेस (13351) का प्रस्थान समय 11:35 से बदलकर 18:35 कर दिया गया।
रांची-चोपन एक्सप्रेस (18613) को अब रांची-टोरी होकर चलाया जाएगा। पलामू एक्सप्रेस को टोरी में ही समाप्त कर दिया गया, जबकि जम्मूतवी-टाटा एक्सप्रेस को लोहरदगा रूट से डायवर्ट किया गया। इसके अलावा रांची-दुमका एक्सप्रेस (13320) का परिचालन रांची से बराकर के बीच रद्द कर दिया गया।

जेएलकेएम सुप्रीमो सह विधायक जयराम महतो ने आंदोलन का समर्थन किया और कहा कि यह सिर्फ आदिवासी दर्जे का नहीं, बल्कि कुरमाली भाषा और जमीन बचाव का संघर्ष है। 2022 और 2023 में भी 20 सितंबर को आंदोलन हुआ था, जबकि 2024 में चुनावों की वजह से टाल दिया गया था।
राजनीतिक दल इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं रेलवे ने आपात स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए हैं।
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