वेद प्रचार परिषद के तत्वावधान में स्वामी दयानन्द सरस्वती की 200 वीं जयंती पर बहुकुण्डीय महायज्ञ ज्ञानखंड-1, इंदिरापुरम में समाज सेवी विनोद कुमार त्यागी की अध्यक्षता में सौल्लास सम्पन्न हुआ।
आर्य जगत की सुप्रसिद्ध भजनोपदेशिका आचार्या अमृता आर्या एवं देश भूषण चावला ने भजनों द्वारा ऋषि महिमा एवं ईश भक्ति का गुणगान किया जिसे सुनकर श्रोता झूम उठे।
बहुकुण्डीय महायज्ञ आचार्य महेन्द्र भाई के ब्रह्मत्व में संपन्न हुआ।उन्होंने यज्ञ महिमा एवं वेद महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि पंच महायज्ञ एवं वेद मार्ग पर चलने से ही मानव कल्याण सम्भव होगा।
मुख्य वक्ता डा जयेन्द्र आचार्य (कुलपति आर्ष गुरुकुल नोएडा) ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमने इतिहास में विभिन्न युद्ध पढ़े हैं लेकिन स्वामी दयानंद ने पहली बार अज्ञान के खिलाफ अंतहीन युद्ध शुरू किया था,उन्होंने कहा इंसान का सबसे बड़ा शत्रु अज्ञान है, अविद्या है,इसलिए अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए।स्वामी दयानंद चाहते थे दुनियां में वेद का पठन-पाठन हो, शास्त्र के बिना तर्क खोखला होता है,सत्य की कोई मेरिट नहीं होती इसलिए आपने सूर्य बनना है तभी अंधेरा मिटेगा।उस कुशल वैघ ने भारत की बीमारी को पहचाना और उसका इलाज किया शास्त्र,तर्क विज्ञान और फिर सत्य को खोजा।महर्षि दयानंद इस धरती पर सत्य का प्रचार चाहते थे और इसके लिए उन्होंने गुरु मंत्र दिया है सत्य के ग्रहण और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।उन्होंने आगे बताया कि पतंजलि के अष्टांग योग को अपनाने से ही परमात्मा का साक्षात्कार सम्भव हैं।
केंद्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री महेन्द्र भाई ने कहा कि स्वामी दयानंद के जीवन पर चर्चा करना सामान्य कार्य नहीं है 22 वर्ष की आयु में घर छोड़कर सच्चे शिव की तलाश में निकल कर मथुरा स्थित गुरु विरजानंद जी की कुटिया में पहुंचे,दरवाजा खटखटाया अंदर से आवाज आई कौन? दयानंद बोले यही जानने के लिए आया हूं?कि मैं कौन हूं? उस दिन गुरु विरजानंद की कुटिया का द्वार नहीं खुला था अपितु भारत की किस्मत का दरवाजा खुला था,उन्होंने गुरु जी से 3 वर्ष की अवधि में जो सत्य ज्ञान प्राप्त किया और 20 वर्ष तक सत्य का प्रचार करते हुए कहा कि शमा की भांति जल रहा हूं,बुझ तो जाऊंगा लेकिन रोशनी कर जाऊंगा।
मुख्य अतिथि वेद प्रकाश आर्य, (उद्योग पति एवं अध्यक्ष केन्द्रीय आर्य युवक परिषद दिल्ली) ने कहा कि हमने जीवन में एक बात सीखी है जो अच्छी बात सुनते हैं उसे अपनाएं, करनी कथनी में अंतर ना रखें, परमात्मा में विश्वास रखें,महर्षि दयानंद के कार्यों को याद रखें,उस पर चलने का प्रयास करें।
समारोह के अध्यक्ष समाज सेवी विनोद त्यागी ने कहा कि ऋषि दयानन्द ने राष्ट्र एवं समाज की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति प्रदान कर दी और उनके द्वारा लिखित ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश की प्रेरणा से कितने ही क्रांति कारियों ने राष्ट्र की आजादी प्राप्त करने के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया।
समारोह में वशिष्ठ अतिथि के रूप में पधारी डा सुधा राणा (समाज सेविका) एवं कुम कुम राजपूत (प्रभारी पतंजलि योग) ने करो योग रहो निरोग का संदेश दिया तथा परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यशोवीर आर्य ने भी दयानंद महिमा पर अपने विचार रखे।
मंच का कुशल एवं सफल संचालन यशस्वी प्रधाना ममता चौहान ने किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से श्रीमती कौशल्या देवी,सोनिया विज्ञ,शकुंतला आर्या,निधि अग्रवाल,नीरू चौधरी, आशा चौहान,प्रवीन चौधरी,रश्मि चौहान,प्रीति चौहान,प्रज्ञा चौहान, यज्ञवीर चौहान,त्रिलोक शास्त्री, देववृत्त चौहान,सुधा सोहिल, आतोष,प्रवेश गुप्ता,अरविंद चौहान,शोभा राम शर्मा,मधु सैनी,सुनीता गुप्ता,प्रदीप आर्य, दिग्विजय आर्य,मुरारी बघेल आदि उपस्थित थे।
शांतिपाठ एवं ऋषिलंगर के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।