गाजियाबाद,शनिवार 20 जनवरी 2024, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में "श्रीराम मन्दिर से राम राज्य की और" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 605 वां वेबिनार था।
वैदिक विद्वान आचार्य हरिओम शास्त्री ने कहा कि राम को भक्ति काल के निर्गुण और सगुण भक्तिधारा के संतों और कवियों ने राम के जीवन का विशद वर्णन किया है।निर्गुण भक्ति धारा के सन्त उन्हें निराकार ब्रह्म के रूप में कण कण में रमण करने/बसने वाले राम के रूप में मेरे तो रमते राम के रूप में कीर्तन किया है। वहीं सगुण भक्तिधारा के सन्तों ने अयोध्या पति राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम के रूप में कीर्तन किया है।सन्त तुलसीदास जी लिखते हैं कि -रामराज बैठे तिरलोका,हर्षित भये गये सब सोका।
सब नर करहिं परस्पर प्रीति, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।।
दैहिक दैविक भौतिक तापा, रामराज्य मा कबहुं न ब्यापा।
नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना, नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना।।
अर्थात् रामराज्य में यत्र तत्र सर्वत्र सब सुख और समृद्धि का ही साम्राज्य था।राम के जीवन का वर्णन करते हुए महाकवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने लिखा है -राम तुम्हारा जीवन ही सुन्दर काव्य है।कोई भी कवि बन जाए यह सहज संभाव्य है।।
दसवें सिख गुरु गोविन्द सिंह जी ने राम अवतार में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी के गुणों का वर्णन करते हुए 864 पदों की रचना की है जिसमें 425 पदों में केवल युद्धनीति का ही वर्णन किया है।अयोध्या साम्राज्य की स्थापना सतयुग में वैवस्वत मनु महाराज ने की थी।कलयुग में एक बार उज्जयिनी के राजा सम्राट विक्रमादित्य शिकार खेलते हुए अयोध्या आए।वहां उन्हें श्रीराम जी से सम्बंधित कुछ चीजें दिखाई पड़ीं।बाद में उन्होंने वहां एक विशाल मंदिर बनवाया जहां भगवान श्रीराम की पूजा अर्चना होती थी।बाद में सन् 1525 ई. में मुगल आक्रांता बाबर के आदेश से उसके सिपहसालार मीरबाकी ने राममंदिर को नष्ट कर दिया और उसकी जगह बाबरी मस्जिद के तीन गुंबद बनवाए।फिर भी उस गुंबद के बाहर एक राम चबूतरा बना कर उसपर श्री राम जी की पूजा अर्चना होती थी। फिर सन् 1949 ई. में मुख्य गुंबद के नीचे रामलला की मूर्ति स्थापित हुई और सन् 1989 ई. में श्री राजीव गांधी के कार्यकाल में वहां का ताला खुलवाया गया और पूजा अर्चना शुरू हो गई। सन् 1992 ई. में बाबरी ढांचे को ढहा दिया गया और वहीं पर टाट पट्टी का मन्दिर बनवाया गया जिसमें अभी तक पूजन कीर्तन हो रहा था।अब 22 जनवरी को विशाल मन्दिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ वहां समयोचित पूजन कीर्तन होना शुरू हो जाएगा।सभी आर्य हिन्दू प्रजा को चाहिए कि श्रीराम जी को अपने हृदय में बसा कर रामराज्य को साकार करें।
मुख्य अतिथि आर्य नेता सत्यानंद आर्य व अध्यक्ष आर्य नेत्री विमला आहूजा ने श्रीराम जी के गुणों को जीवन में धारण करने का आह्वान किया I
परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
गायिका प्रवीना ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता, कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा, प्रतिभा कटारिया,चन्द्र कांता आर्य, सुदर्शन चौधरी, वेदिका, कमला हंस आदि के मधुर भजन हुए।