टिकट के इंतजार में संभावित प्रत्याशियों की धड़कनें कभी तेज तो कभी धीमी हो रही हैं। पता नहीं टिकट मिलेगा या नहीं, कटेगा या बच जाएगा... यही सोचते-सोचते करवटें बदलते हुए उनकी रातें कट जाती हैं। कई दावेदार तो अपनी कुंडली के लिए पंडितों और ज्योतिषियों की मदद भी ले रहे हैं।
दिल्ली में सात लोकसभा सीटें हैं. आप-कांग्रेस मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं. आप के खाते में चार सीटें हैं जिन पर उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है. लेकिन कांग्रेस के हिस्से में आई बाकी तीन सीटों पर अभी तक उम्मीदवारों का चयन नहीं हुआ है.
स्क्रीनिंग कमेटी और केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की कई दौर की बैठकों में भी कुछ तय नहीं हो सका. बुधवार शाम तक बीजेपी भी कुछ ऐसी ही स्थिति में थी. दो सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा होनी बाकी थी.
बीजेपी ने पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार पहले ही तय कर लिए थे और बाकी दो सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा बुधवार शाम को की गई.
कांग्रेस में जोड़-तोड़ अब भी है जारी
उत्तर पूर्वी, चांदनी चौक और उत्तर पश्चिमी सीटों पर कांग्रेस में अभी भी जोड़-तोड़ जारी है. चांदनी चौक लोकसभा सीट पर वैश्य समुदाय से किसी योग्य उम्मीदवार को टिकट देने की मांग की जा रही है, जबकि कुछ नेता और कार्यकर्ता तीन सीटों में से एक पर महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारने की बात कर रहे हैं.
इसी तरह उत्तर पूर्वी सीट पर भी ब्राह्मण समुदाय से टिकट की मांग हो रही है. मालूम हो कि पूर्व सांसद संदीप दीक्षित के साथ ही चार बार के विधायक भीष्म शर्मा भी खुद को प्रबल दावेदार मान रहे हैं.
गौरतलब यह भी है कि 17 लोकसभा चुनावों में से नौ बार इस सीट से ब्राह्मण समुदाय का उम्मीदवार जीता है, इसकी एक वजह यह भी है कि यहां ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या अधिक है. इसी तरह विरोध के बावजूद पूर्व सांसद उदित राज उत्तर पश्चिमी सीट से टिकट के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं.
कोई राशिफल भेज रहा है तो कोई फोन पर सलाह ले रहा है
अखिल भारतीय ज्योतिष परिषद के महासचिव आचार्य कृष्णदत्त शास्त्री का कहना है कि उनके पास कई दावेदारों की कुंडली आई है। कुछ लोगों ने फोन पर पूछा है. सबके सवाल एक जैसे हैं.
मसलन, आप-कांग्रेस गठबंधन सफल होगा या नहीं, हमारा टिकट कटेगा या बचेगा और अगर हमें टिकट मिला तो हम कितने समय तक सत्ता का आनंद ले पाएंगे? उन्होंने बताया कि कमोबेश तीनों पार्टियों के नेताओं की कुंडली किसी और के जरिए उनके पास आई है.
इसका मतलब यह है कि किसी कारण से वे नेता खुद नहीं आये बल्कि अपनी कुंडली भेज दी. कुछ लोगों ने स्थिति को अपने पक्ष में करने के तरीके भी पूछे और बताया गया है कि कई लोगों ने उन पर अमल करना भी शुरू कर दिया है।