दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्रों की जांच पूरी हो गई है, और कुल 1522 नामांकनों में से 803 को रद्द कर दिया गया है। शनिवार देर रात तक चली जांच के बाद, अब दिल्ली में 719 उम्मीदवार चुनावी मैदान में रह गए हैं। सोमवार को नामांकन वापस लेने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह संख्या और कम हो सकती है, और इसके बाद ही साफ होगा कि कितने उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। दिल्ली के सबसे चर्चित क्षेत्रों, जैसे नई दिल्ली, मुंडका और रोहतास नगर में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी, जबकि कुछ क्षेत्रों में उम्मीदवारों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। अब सबकी नजरें सोमवार पर हैं, जब उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी होगी और चुनावी मैदान में किसका नाम रहेगा, यह तय होगा।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्रों की जांच पूरी हो चुकी है, और अब चुनावी रण में उतरने वाले उम्मीदवारों की संख्या 719 रह गई है। शनिवार रात तक चली लंबी जांच प्रक्रिया के बाद 1522 नामांकन पत्रों में से 803 को रद्द कर दिया गया। सोमवार तक यह संख्या और घट सकती है, जब उम्मीदवार अपना नामांकन वापस लेने का निर्णय लेंगे। इस दिन के बाद ही साफ होगा कि दिल्ली में चुनावी मैदान में कुल कितने उम्मीदवार होंगे।
नई दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, संदीप दीक्षित और प्रवेश वर्मा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला!
दिल्ली के सबसे चर्चित विधानसभा क्षेत्र, नई दिल्ली में इस बार मुकाबला तगड़ा है। यहां पर 23 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जिनमें प्रमुख नाम पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (आम आदमी पार्टी), कांग्रेस की संदीप दीक्षित और भाजपा के प्रवेश वर्मा का है। यह त्रिकोणीय मुकाबला दिल्ली के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेगा।
दूसरे प्रमुख क्षेत्रों में कैसी है स्थिति?
मुंडका, रोहतास नगर और जनकपुरी जैसे बड़े विधानसभा क्षेत्रों से 16 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। वहीं लक्ष्मी नगर से 15 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है। बुराड़ी, आदर्श नगर और ओखला जैसे क्षेत्रों में 14-14 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाएंगे। खास बात यह है कि रोहतास नगर में नामांकन के लिए सबसे कम पांच उम्मीदवार हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों में उम्मीदवारों की संख्या थोड़ी अधिक है।
सोमवार तक होगा फैसला, कौन रहेगा और कौन जाएगा!
अब सबकी नजरें सोमवार पर हैं, जब उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने की प्रक्रिया पूरी होगी। इस दिन के बाद दिल्ली में आगामी चुनावों के लिए वास्तविक प्रतिस्पर्धा का पता चलेगा। क्या कोई बड़े नाम नामांकन वापस लेंगे, या फिर चुनावी रैलियों में सभी मैदान में रहेंगे? यह सवाल अब सस्पेंस बना हुआ है।
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