लखनऊ, 21 मई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष योग्यजन शिक्षण केंद्रों में अनुशासित, जागरूक और जवाबदेह प्रशासनिक संरचना के सुदृढ़ीकरण पर बल देते हुए संबंधित विभागों को निर्देशित किया है कि किसी भी बाहरी संस्था को सहयोग हेतु आमंत्रित करने से पहले उसकी पृष्ठभूमि की गहन और निष्पक्ष जांच अनिवार्य रूप से की जाए। उन्होंने चेताया कि कुछ असामाजिक गुट योजनाबद्ध तरीके से दिव्यांग विद्यार्थियों के मनोबल को क्षति पहुँचाकर उन्हें दिशाहीन करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसकी रोकथाम सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी स्पेशल एजुकेशनल सेंटर्स, इंटीग्रेटेड स्कूल्स, ममता, स्पर्श और संकेत विद्यालयों में संपूर्ण निरीक्षण अभियान चलाने के निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान छात्रों और उनके परिजनों से संवाद स्थापित कर उनके अनुभव, आवश्यकताओं और अपेक्षाओं को केंद्र में रखकर व्यवस्थाओं को सुदृढ़ किया जाएगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक नियमित शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण न हो, तब तक शैक्षिक गुणवत्ता प्रभावित न हो — इसके लिए योग्य युवाओं की अस्थायी तैनाती की जाए और भविष्य में उन्हें वरीयता (वेटेज) भी दी जाए।

समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री को बताया गया कि दिव्यांगजन सशक्तिकरण योजनाओं का डिजिटल और पारदर्शी प्लेटफॉर्म पर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है। दिव्यांग पेंशन योजना के अंतर्गत वर्तमान में 11.04 लाख लाभार्थियों को ₹1300 करोड़ की राशि वितरित की जा चुकी है, जबकि कुष्ठ रोग पीड़ितों को प्रति माह ₹3000 की सहायता दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि एक व्यापक सर्वेक्षण कर यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई पात्र व्यक्ति इस योजना से वंचित न रहे, साथ ही जो अपात्र लाभ ले रहे हैं उन्हें चिन्हित कर आवश्यक कार्रवाई की जाए।
बैठक में यह भी बताया गया कि पिछले वित्तीय वर्ष में 35,136 दिव्यांग नागरिकों को उपकरण सहायता हेतु ₹28.93 करोड़ की सहायता दी गई। मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल योजना के तहत 270 अत्यधिक दिव्यांग व्यक्तियों को ₹2 लाख तक की मशीनें वितरित की गईं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इस योजना में सांसदों और विधायकों की निधियों से योगदान लेने के लिए पहल की जाए, जिससे सहयोग और तीव्र गति से विस्तार सुनिश्चित हो सके।
वर्तमान में दिव्यांगजनों को राज्य परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा सुविधा प्रदान की जा रही है, जिसका लाभ बीते वित्तीय वर्ष में 31 लाख से अधिक नागरिकों ने उठाया।
कोक्लियर इम्प्लांट योजना की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका वास्तविक प्रभाव तभी दिखेगा जब नवजात अवस्था में ही पहचान कर उपचार प्रारंभ हो। उन्होंने निर्देशित किया कि हाल ही में योजना से लाभान्वित 214 बच्चों की स्वास्थ्य प्रगति की निगरानी के लिए परिजनों से संवाद स्थापित किया जाए।

राज्य के 25 जिलों में सक्रिय डे केयर सेंटर्स में दृष्टिहीन, मूक-बधिर और मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को विशेष शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राज्यभर के 16 विशेष विद्यालय, 7 समेकित विद्यालय और 5 मानसिक पुनर्वास केंद्रों में 1680 विद्यार्थियों को आवासीय शिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने लखनऊ स्थित डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय और चित्रकूट के जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय स्तर के कौशल विकास केंद्रों के रूप में स्थापित करने के लिए इनके पाठ्यक्रमों के प्रचार-प्रसार पर बल दिया।
अब तक 15 लाख से अधिक दिव्यांग नागरिक यूडीआईडी पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं। मुख्यमंत्री ने सभी 18 मंडल मुख्यालयों में दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों की स्थापना का निर्देश दिया है ताकि विशेष जरूरतों वाली सेवाएं स्थानीय स्तर पर सहज रूप से उपलब्ध हो सकें।
मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश केवल शिक्षा के क्षेत्र में नहीं, बल्कि दिव्यांगजन सशक्तिकरण के समग्र मॉडल के रूप में देशभर में उदाहरण बने — यह राज्य सरकार की प्रतिबद्धता है।
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