लखनऊ, 29 मई 2025 — उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में
बुधवार को
एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए, जिसने राज्य के उच्च शिक्षा क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की
दिशा में
एक महत्वपूर्ण कदम
के रूप
में चिह्नित किया है।
यह समझौता प्रदेश सरकार और विश्व की एक
प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालय के
बीच हुआ
है, जिसका उद्देश्य शैक्षणिक सहयोग, छात्रों के आदान-प्रदान, शोध
में साझेदारी और वैश्विक मानकों पर
आधारित शिक्षा प्रणाली की
स्थापना है। यह
पहल न
केवल उत्तर प्रदेश को
वैश्विक शिक्षा मानचित्र पर
स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है, बल्कि केंद्र सरकार की नई
शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के उद्देश्य को भी
मजबूत करती है, जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा को
समावेशी, बहुआयामी,
अंतरविषयी और
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है।

अंतरराष्ट्रीयकरण का
उद्देश्य
इस
समझौते के
तहत उत्तर प्रदेश के
विश्वविद्यालयों और
विदेशी शिक्षण संस्थानों के
बीच अनुसंधान परियोजनाओं में
साझेदारी, संयुक्त डिग्री कार्यक्रम,
फैकल्टी एक्सचेंज और छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा प्रदान करने जैसे कार्य किए जाएंगे। साथ ही, इससे प्रदेश के छात्रों को वैश्विक दृष्टिकोण और
आधुनिक ज्ञान प्रणालियों से
जोड़ने में
मदद मिलेगी। राज्य सरकार का
कहना है
कि यह
कदम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के
‘नए उत्तर प्रदेश’ के
विजन का
हिस्सा है, जिसमें शिक्षा को रोजगारोन्मुख और
नवाचार-आधारित बनाकर प्रदेश को एक
वैश्विक ज्ञान केंद्र के
रूप में
विकसित करना शामिल है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का
बयान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने
इस अवसर पर कहा, "यह समझौता ज्ञापन न केवल उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा प्रणाली को नई दिशा देगा, बल्कि हमारे छात्रों और शिक्षकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। NEP
2020 की भावना को साकार करते हुए हम शिक्षा को सीमाओं से परे ले जा रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा
कि यह
पहल न
केवल शैक्षणिक स्तर को
ऊँचा उठाएगी, बल्कि निवेश, स्टार्टअप और
इनोवेशन की
संस्कृति को
भी प्रोत्साहित करेगी, जिससे उत्तर प्रदेश को
एक शैक्षणिक और आर्थिक महाशक्ति के
रूप में
उभारा जा
सकेगा।
नई
शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में यह
समझौता
NEP 2020 भारत की
शिक्षा प्रणाली को 21वीं सदी
की आवश्यकताओं के
अनुरूप पुनर्गठित करने का एक
व्यापक प्रयास है। इसके तहत उच्च शिक्षा को
वैश्विक गुणवत्ता,
लचीलापन, बहुविषयकता और
शोध-केंद्रित बनाने पर
विशेष बल
दिया गया
है। यह
MoU उसी नीति के तहत
किए गए
उन सुधारों का हिस्सा है, जिसमें भारतीय संस्थानों को
अंतरराष्ट्रीय सहयोग हेतु प्रोत्साहित किया गया है।
MoU के प्रमुख बिंदु
·
संयुक्त शोध प्रयोगशालाओं और
तकनीकी केंद्रों की स्थापना।
·
छात्र व शिक्षक एक्सचेंज प्रोग्राम।
·
ड्यूल डिग्री और
क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा।
·
ऑनलाइन और हाइब्रिड मोड में
वैश्विक कोर्सेज की शुरूआत।

उच्च शिक्षा विभाग की सक्रिय भूमिका
उत्तर प्रदेश के
उच्च शिक्षा विभाग ने
इस MoU को क्रियान्वित करने के लिए
एक विशेष कार्यबल का
गठन किया है, जो
विभिन्न विश्वविद्यालयों के
बीच समन्वय करेगा और
इस प्रक्रिया को
सुगम बनाएगा। विभागीय अधिकारियों के
अनुसार, आने
वाले समय
में और
भी विदेशी विश्वविद्यालयों के
साथ सहयोग की संभावनाएँ तलाशी जाएंगी।
छात्रों और शिक्षकों को मिलेगा सीधा लाभ
यह
समझौता न
केवल संस्थानों के
स्तर पर
लाभप्रद होगा, बल्कि इसका सीधा लाभ
छात्रों और
शिक्षकों को
भी मिलेगा। विदेशी विश्वविद्यालयों से
जुड़ने से
छात्रों को
वैश्विक एक्सपोजर मिलेगा, वहीं शिक्षकों को
उन्नत प्रशिक्षण और
रिसर्च के
अवसर प्राप्त होंगे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के
एक प्रोफेसर ने बताया, "ऐसी साझेदारियाँ न केवल अकादमिक गुणवत्ता को बढ़ाएंगी, बल्कि हमारे शोध की वैश्विक मान्यता में भी सहायक होंगी। इससे हम अपने छात्रों को बेहतर करियर विकल्प दे पाएंगे।"
शिक्षा में निवेश और उद्योगों की रुचि
इस
पहल के
चलते प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में निवेश की संभावनाएँ भी
बढ़ गई
हैं। तकनीकी, मेडिकल और
मैनेजमेंट संस्थानों को
वैश्विक मानकों पर ढालने की दिशा में राज्य सरकार ने
कई उद्योग समूहों से
भी संपर्क साधा है।
इससे 'इंडस्ट्री-एकेडेमिया'
के बीच
साझेदारी को
बल मिलेगा, जो NEP का एक
अहम स्तंभ है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
राज्य के शिक्षाविदों,
राजनीतिक विश्लेषकों और
सामाजिक संगठनों ने इस
कदम का
स्वागत किया है। विपक्षी दलों ने
हालांकि यह
सुझाव दिया कि इस
पहल का
लाभ ग्रामीण और पिछड़े वर्ग के
छात्रों तक
भी पहुँचना चाहिए, जिससे शिक्षा में
समानता सुनिश्चित हो
सके। उत्तर प्रदेश सरकार का यह
समझौता ज्ञापन न केवल एक औपचारिक दस्तावेज है, बल्कि यह
प्रदेश की
शिक्षा नीति में बदलाव का प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग की यह
पहल राज्य के छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के
लिए तैयार करेगी और
उत्तर प्रदेश को देश
का शैक्षणिक राजधानी बनाने की दिशा में एक
ठोस कदम
है। आने
वाले समय
में इसके सकारात्मक प्रभाव न केवल शैक्षणिक स्तर पर, बल्कि सामाजिक और
आर्थिक क्षेत्र में भी
देखने को
मिलेंगे।
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