लखनऊ, 08 जून 2025।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य की समृद्ध बौद्ध विरासत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए लगातार प्रयासरत है। इसी दिशा में 2 से 7 जून तक आयोजित की गई ‘बोधि यात्रा’ के माध्यम से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के प्रमुख बौद्ध स्थलों का भ्रमण किया। इस यात्रा का आयोजन उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के सहयोग से मेकांग-गंगा सहयोग (MGC) कार्यक्रम के तहत किया गया।

कम्बोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम से आए 50 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में बौद्ध भिक्षु, ट्रैवल एजेंट्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शामिल थे। इस 'फैमिलियराइजेशन ट्रिप' का उद्देश्य श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कुशीनगर, सारनाथ, वाराणसी जैसे ऐतिहासिक बौद्ध तीर्थस्थलों की वैश्विक ब्रांडिंग करना था।
प्रतिनिधिमंडल ने आनंद बोधि वृक्ष, जेतवन विहार, पिपरवाही स्तूप, महापरिनिर्वाण स्तूप, धम्मेक स्तूप, अशोक स्तंभ और कई बौद्ध संग्रहालयों का दौरा किया और उनकी ऐतिहासिक व आध्यात्मिक महत्ता को जाना।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं लखनऊ में प्रतिनिधिमंडल से भेंट कर उत्तर प्रदेश की बौद्ध धरोहर और सरकार के प्रयासों की जानकारी दी। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि योगी सरकार पर्यटन को आर्थिक विकास का प्रमुख माध्यम मानते हुए बौद्ध सर्किट के इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बना रही है।
‘बोधि यात्रा’ के दौरान बी2बी बैठकों का भी आयोजन हुआ, जिससे भारत और आसियान देशों के बीच पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा मिला। अतिथियों को पारंपरिक अंदाज में स्वागत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रदेश की विविधता से परिचित कराया गया।

पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि यह पहल उत्तर प्रदेश की बौद्ध विरासत को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी, जिससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि राज्य की आर्थिक समृद्धि में भी अहम योगदान होगा।
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