Tuesday, June 17, 2025

बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की नृशंस हत्या: पत्रकारों का उबाल, न्याय की लड़ाई जारी

बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या ने उठाई पत्रकार सुरक्षा की गंभीर चुनौती

Noida , Latest Updated On - Jan 18 2025 | 10:30:00 AM
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बीजापुर में एनडीटीवी के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या ने पत्रकारों के बीच गहरी नाराजगी और आक्रोश पैदा कर दिया है। इस क्रूर घटना के बाद, पत्रकार संघों ने दोषियों को सजा दिलाने और पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग को लेकर एकजुट होकर संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया है। इस कड़ी में, संघ ने जांच समितियां गठित की हैं, जिन्होंने घटनास्थल का दौरा किया और राज्य सरकार से आर्थिक सहायता व स्पीडी ट्रायल की मांग की है। अब देशभर के 2000 से अधिक पत्रकार दिल्ली में एकजुट होकर प्रधानमंत्री से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की अपील करेंगे।

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एनडीटीवी के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पूरे देश के पत्रकार समुदाय को हिला दिया है। यह हत्या न केवल एक पत्रकार की जान लेने वाली क्रूरता का प्रतीक बनी, बल्कि पत्रकारों के बीच सुरक्षा और न्याय की लड़ाई को भी उजागर कर दिया है। हाल ही में भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस हत्याकांड की तीव्र निंदा करते हुए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग की गई। संघ ने इस मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय महासचिव शाहनवाज हुसैन के नेतृत्व में एक विशेष समिति गठित की है।

मुख्यमंत्री से एक करोड़ की सहायता की मांग, स्पीडी ट्रायल की जोरदार आवाज़

इससे पहले बीएसपीएस और रायपुर प्रेस क्लब के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से मुलाकात की और मृतक पत्रकार के परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने की मांग की थी। साथ ही, उन्होंने स्पीडी ट्रायल की मांग की ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जा सके।

शाहनवाज हुसैन और गिरिधर शर्मा का बीजापुर दौरा: पीड़ित परिवार से मुलाकात

आज, भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ के राष्ट्रीय महासचिव शाहनवाज हुसैन और राष्ट्रीय संगठन सचिव गिरिधर शर्मा बीजापुर पहुंचे। उनके साथ रायपुर से राष्ट्रीय सचिव सुखनंदन बंजारे और प्रदेश अध्यक्ष गंगेश द्विवेदी भी थे। प्रतिनिधिमंडल ने मुकेश चंद्राकर के बड़े भाई यूकेश चंद्राकर से मिलकर शोक व्यक्त किया और उन्हें विश्वास दिलाया कि यह लड़ाई अब केवल उनके परिवार की नहीं, बल्कि समस्त पत्रकारों की लड़ाई बन चुकी है। प्रतिनिधिमंडल ने एसआईटी रिपोर्ट और न्यायालय में मुकदमा लड़ने तक बीएसपीएस की ओर से पूरी कानूनी लड़ाई लड़ने का वादा किया।

पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग: 2000 पत्रकारों का दिल्ली कूच

इस दौरान शाहनवाज हुसैन ने पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू करने के लिए देश भर के पत्रकार संगठनों को एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि 2000 से अधिक पत्रकार दिल्ली कूच करेंगे और प्रधानमंत्री के समक्ष अपनी मांगों को उठाएंगे।

जांच समिति ने घटनास्थल का दौरा किया, सुरेश चंद्राकर 'पुष्पा' का नाम उभरा

बीजापुर में जांच समिति ने घटनास्थल का जायजा लिया और सुरेश चंद्राकर को 'पुष्पा' के नाम से पहचाना गया, जिसे अवैध कमाई और रसूखदार नेताओं से रिश्तों के कारण इलाके में खौफनाक पहचान मिली थी। जांच समिति को स्थानीय पत्रकारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एसआईटी के अधिकांश अधिकारी पुष्पा के साथ अच्छे संबंध रखते हैं, जिससे न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती।

नृशंस हत्या: शव को सैप्टिक टैंक में डालकर सीमेंट से पैक किया गया

मुकेश चंद्राकर की हत्या इतनी नृशंस थी कि पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने इसे पिछले 12 वर्षों का सबसे भयावह मामला बताया। मुकेश के शव को सैप्टिक टैंक में डालकर उसे सीमेंट से पैक कर दिया गया था, जो इस कृत्य की जघन्यता को और भी अधिक दर्शाता है। हत्या के बाद मुख्य आरोपी हैदराबाद भाग निकला था, जहां उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, उसके साथियों में शामिल मुख्य षड्यंत्रकारी सुरेश चंद्राकर अब भी फरार है।

एसपी से मुलाकात: सभी तकनीकी पहलुओं को रिपोर्ट में शामिल करने की बात

बीजापुर के एसपी जितेंद्र कुमार यादव से जांच समिति ने मुलाकात की। एसपी ने जांच के हर पहलू को गहराई से परखने का आश्वासन दिया और बताया कि हत्या में इस्तेमाल वाहन, लोहे की रॉड, और अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य बरामद किए गए हैं। एसपी ने यह भी कहा कि सभी तकनीकी पहलुओं को रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा और इसे अदालत में पेश किया जाएगा।

मुख्यमंत्री से मुलाकात: पत्रकारों की कानून के पक्ष में और भी गंभीर पहल

अब पत्रकार संघ की जांच समिति रायपुर पहुंचकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करेगी, जहां इस मामले के सभी पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। पत्रकारों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है और उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक दोषियों को कड़ी सजा नहीं मिल जाती।

यह मामला न केवल पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सुरक्षा का सवाल बन चुका है, बल्कि यह सत्ता और रसूखदारों के खिलाफ खड़ा होने वाले पत्रकारों की आवाज को दबाने की कोशिशों का भी उदाहरण है।

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