मणिपुर में जारी सामुदायिक हिंसा के बीच सुरक्षाबलों ने एक बड़ी कार्रवाई की है। थौबल और इंफाल पश्चिम जिलों में तीन उग्रवादियों की गिरफ्तारी के साथ-साथ चुराचांदपुर जिले में 12 एकड़ में फैली अवैध अफीम की खेती को नष्ट कर दिया गया। यह कदम उग्रवादियों के नेटवर्क और उनके वित्तीय स्रोतों पर प्रहार करते हुए राज्य में शांति स्थापित करने के प्रयासों को तेज करता है।
मणिपुर में 18 महीनों से जारी सामुदायिक हिंसा ने राज्य को अशांति में डुबो दिया है, लेकिन सुरक्षाबलों की तगड़ी कार्रवाई ने इस हिंसा की आग में एक नया मोड़ दे दिया है। राज्य और केंद्र सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद स्थिति पर काबू पाना मुश्किल था, लेकिन अब एक के बाद एक कड़ी कार्रवाई से उग्रवादियों और उनके नेटवर्क पर चोट पहुंचाई जा रही है।
सुरक्षाबलों का जाल, तीन उग्रवादी गिरफ्तार
कहानी की शुरुआत होती है मणिपुर के थौबल और इंफाल पश्चिम जिलों से। सुरक्षाबलों ने यहां अलग-अलग अभियानों में तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जो राज्य में हिंसा और उग्रवाद फैलाने के जिम्मेदार थे। इनमें से दो उग्रवादी कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (पीडब्ल्यूजी) के सक्रिय सदस्य थे, जिन्हें थौबल के एक गांव से पकड़ा गया। उनके पास से बरामद हुई पिस्तौल, गोला-बारूद और नकदी ये सभी सुरक्षाबलों की सतर्कता और मजबूत इंटेलिजेंस की पुष्टि करती हैं। वहीं, इंफाल पश्चिम के लांगोल इलाके में एक और संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया, जो कांगली यावोल कन्ना लूप (केवाईकेएल) से जुड़ा हुआ था। पुलिस का कहना है कि इस मामले में जांच लगातार जारी है, और कई अन्य उग्रवादियों को पकड़ने की कोशिश की जा रही है।
अवैध अफीम की खेती पर कार्रवाई
लेकिन, यह सिर्फ एक शुरुआत थी। चुराचांदपुर जिले में सुरक्षाबलों ने एक और बड़े कदम के तहत लगभग 12 एकड़ में फैली अवैध अफीम की खेती को नष्ट कर दिया। यह कार्रवाई शुक्रवार को डंपी रिजर्व फॉरेस्ट के सिडेन चांगपीकोट इलाके में की गई, जहां सुरक्षा बलों की एक संयुक्त टीम ने मिलकर उग्रवादियों के वित्तीय स्रोत को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया। इस अभियान में जिला पुलिस, चुराचांदपुर के डीएफओ और केंद्रीय बलों की टीम ने कड़ी मेहनत से यह बड़ी कार्रवाई की।
हिंसा के खिलाफ जंग जारी
इस कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि सुरक्षाबल अब मणिपुर में न सिर्फ उग्रवादियों के खिलाफ, बल्कि उनके अवैध आर्थिक नेटवर्क को भी निशाना बना रहे हैं। हिंसा की आग को बुझाने के लिए सुरक्षा बलों के इन संघर्षों का कोई अंत नजर नहीं आता, और यह जंग अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचने वाली है।
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