मणिपुर में पिछले साल मई से जारी जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए और हजारों विस्थापित हुए। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने जनता से माफी मांगते हुए इसे बेहद कठिन साल बताया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि 2025 में राज्य में शांति बहाल होगी। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष के बाद से राज्य में अशांति जारी है, और विपक्ष समेत एनडीए के सहयोगी दल भी नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं।
मणिपुर में बीते साल मई से फैली जातीय हिंसा ने राज्य को झकझोर कर रख दिया है। 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग अपने घरों से बेघर हो चुके हैं। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अब एक बड़ा कदम उठाते हुए जनता से माफी मांगी है, और यह उम्मीद जताई है कि आने वाला वर्ष शांति लेकर आएगा।
यह पूरा साल राज्य के लिए भयानक साबित हुआ है। हाल ही में नवंबर में जिरीबाम में तीन महिलाओं और उनके बच्चों की हत्या के बाद हालात और भी बिगड़ गए। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार लगातार दबाव में है। राज्य में शांति की बहाली एक दूर की कौड़ी साबित हो रही है और विपक्ष के साथ ही एनडीए के सहयोगी दल एनपीपी ने भी नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठाई है।
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा, “मैं मणिपुर की जनता से माफी मांगता हूं। यह साल सभी के लिए कठिन रहा है। कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया, कई ने अपने घर छोड़े। मुझे इसका गहरा दुख है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में शांति की झलक देखकर उम्मीद है कि 2025 में हालात सामान्य होंगे।”
हिंसा की जड़ें पिछले साल मई में तब पनपीं, जब आदिवासी छात्र संघ (ATSUM) ने मणिपुरी समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के विरोध में एक रैली आयोजित की। इस रैली ने मैतेई और कुकी समुदायों के बीच गहरी दरार डाल दी, और तब से राज्य में हिंसा का सिलसिला जारी है। केंद्र सरकार ने स्थिति को संभालने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती की, लेकिन शांति अभी भी कोसों दूर है।
क्या मणिपुर के लोग 2025 में शांति और स्थिरता की नई सुबह देखेंगे?
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