मध्य प्रदेश के पीथमपुर में एक बार फिर हंगामा मच गया, और इस बार वजह था यूनियन कार्बाइड के खतरनाक जहरीले कचरे का निपटान। यह कचरा 40 साल पुरानी भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा हुआ है, और अब इसे भोपाल से पीथमपुर लाया गया है। शुक्रवार को लोग सड़कों पर उतर आए और इस जहरीले कचरे को पीथमपुर से वापस भेजने की मांग करने लगे। जैसे-जैसे प्रदर्शन बढ़ा, स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई, और अंततः पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
भोपाल गैस त्रासदी के बाद नया विवाद
1984 में भोपाल गैस त्रासदी में सैकड़ों लोग मारे गए थे और हजारों लोग घायल हुए थे। अब, इस कचरे के निपटान के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। कचरे को पीथमपुर शिफ्ट करने की प्रक्रिया 1 जनवरी को शुरू हुई थी, और उसके बाद से स्थानीय लोग इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी इसे खतरनाक मानते हुए, इस कचरे को वापस भोपाल भेजने की मांग कर रहे हैं।
स्थानीय दुकानदारों का भी विरोध
विरोध सिर्फ सड़कों तक ही सीमित नहीं रहा। पीथमपुर के स्थानीय दुकानदारों ने भी ‘बंद’ का आह्वान किया और अपनी दुकानों को बंद कर दिया। उनका कहना था कि यह जहरीला कचरा उनके इलाके में न जलाया जाए, क्योंकि इससे उनकी जान और पर्यावरण दोनों पर खतरा हो सकता है। वे चाहते हैं कि सरकार इस कचरे को यहां न जलाए, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
सीएम का बयान और पुलिस की कार्रवाई
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि इस कचरे का निपटान पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है, और इसके निपटान में भारत सरकार के कई संगठन शामिल हैं। हालांकि, विरोध के बढ़ते सुरों को देखते हुए, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया।
यह मामला अब राज्य सरकार और स्थानीय लोगों के बीच एक बड़ा विवाद बन चुका है, और देखना होगा कि आगे क्या कदम उठाए जाएंगे। क्या कचरे का निपटान सुरक्षित है, या फिर यह एक और खतरे की आहट है? यह सवाल अब तक अनुत्तरित है।
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