बिहार में चुनावी माहौल गरमाता जा रहा है, और जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आ रहे हैं, महागठबंधन में अंदरूनी घमासान तेज हो रहा है। एक ओर जहां तेजस्वी यादव जातीय जनगणना को लेकर अपनी पार्टी के क्रेडिट का दावा कर रहे थे, वहीं लोकसभा में विपक्षी नेता राहुल गांधी ने पटना में आकर इस पर विवादित बयान दे दिया। राहुल गांधी ने जातीय जनगणना को "फर्जी" करार दिया, जो तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राहुल गांधी का बिहार दौरा कई मायनों में अहम था, लेकिन उनकी इस टिप्पणी ने महागठबंधन की रणनीति को एक नई दिशा में मोड़ दिया है। तेजस्वी यादव ने चुनावी अभियान में जातीय जनगणना और आरक्षण को मुख्य मुद्दा बना रखा था, लेकिन राहुल गांधी के बयान के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या तेजस्वी यादव इस मुद्दे को चुनावी लाभ के रूप में भुना पाएंगे?
बीते कुछ महीनों में बिहार में जातीय जनगणना और आरक्षण के मुद्दे ने जबरदस्त राजनीतिक हलचल पैदा की थी, और तेजस्वी यादव ने इसे अपने एजेंडे का अहम हिस्सा बना लिया था। उनका दावा था कि यह बिहार की जनता के लिए बड़ी उपलब्धि है। हालांकि, राहुल गांधी का बयान तेजस्वी की रणनीति को कमजोर कर सकता है, खासकर जब वह इस मुद्दे का चुनावी लाभ उठाने की योजना बना रहे थे।
महागठबंधन की सबसे मजबूत पार्टी राजद, जो बिहार में जातीय जनगणना को लेकर लगातार प्रचार कर रही थी, अब राहुल गांधी के बयान के कारण एक नई दुविधा में फंस सकती है। राजनीतिक विश्लेषक और चाणक्य इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा का कहना है कि बिहार के चुनावी परिणामों पर जातीय जनगणना का प्रभाव जरूर पड़ेगा। लेकिन, राहुल गांधी का यह बयान राजद के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है।
क्या तेजस्वी अब राहुल गांधी के बयान के बाद जातीय जनगणना के मुद्दे पर अपना रुख बदलेंगे? या फिर वे इसे महागठबंधन के भीतर सामंजस्य बनाए रखते हुए अपने चुनावी अभियान में शामिल करेंगे? यह सवाल अब बिहार की राजनीति में चर्चा का विषय बन चुका है।
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