दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन की चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ असहमत रही। एक जज ने जमानत याचिका खारिज की, जबकि दूसरे ने इसे मंजूरी दी। अब मामला मुख्य न्यायाधीश के सामने नई पीठ के लिए रखा जाएगा।
दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन, जो अब आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम पार्टी के उम्मीदवार हैं, चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। लेकिन, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा। अदालत की दो जजों की पीठ इस मामले पर एकमत नहीं रही, और परिणामस्वरूप, मामला अब मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के पास सुनवाई के लिए जाएगा, जो नई पीठ का गठन करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस पंकज मित्तल ने ताहिर हुसैन की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि दिल्ली दंगों में उसकी अहम भूमिका थी और उसने दंगे के दौरान "कमांड सेंटर" की तरह काम किया था। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि हुसैन के घर से हथियार भी बरामद किए गए थे, जो उसकी भूमिका को और संदिग्ध बनाता है।
वहीं, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने इसके विपरीत, ताहिर हुसैन की याचिका को मंजूरी देते हुए कहा कि वह पिछले पांच सालों से जेल में बंद है और समाज व मतदाताओं से कट चुका है। जस्टिस ने तर्क दिया कि अब जब चुनाव के दिन करीब हैं, तो उसे चुनाव प्रचार के लिए कुछ दिन की राहत दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय ने पहले ही उसे नामांकन के लिए कस्टडी पैरोल दी थी, और इस मुद्दे को सुलझाने की जिम्मेदारी उच्च न्यायालय की थी।
ताहिर हुसैन के वकील ने जमानत याचिका में दावा किया था कि चुनाव प्रचार में उसके जेल से बाहर आने से उसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार मिलेगा, लेकिन सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने इसका विरोध किया। उन्होंने चेतावनी दी कि ताहिर हुसैन चुनाव प्रचार के दौरान गवाहों को प्रभावित कर सकता है, और इसके साथ ही, वह मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी आरोपी है, जिससे उसकी जमानत मुश्किल हो सकती है।
ताहिर हुसैन, जो पहले आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षद थे, अब एआईएमआईएम के टिकट पर मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उच्च न्यायालय ने 14 जनवरी को चुनाव प्रचार के लिए उसे कस्टडी पैरोल दी थी, लेकिन उसकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, और फैसले की दिशा में नया मोड़ आ सकता है।
इस राजनीतिक घटनाक्रम में सवाल उठते हैं कि क्या ताहिर हुसैन को चुनावी प्रचार की अनुमति मिलेगी, या उसकी जमानत को लेकर कोर्ट का कोई नया निर्णय आने वाला है। क्या इससे दिल्ली दंगों और उसकी कथित भूमिका पर राजनीतिक और कानूनी दबाव बनेगा? अब यह देखना होगा कि इस हाई-प्रोफाइल मामले में आगे क्या होता है।
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