झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा आयोजित स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा (CGL) में पेपर लीक का मामला अब सीआईडी के लिए एक चुनौती बन चुका है। जांच की दिशा अब फोरेंसिक रिपोर्ट पर टिकी हुई है, क्योंकि सीआईडी ने 9 मोबाइल फोन को लैब में भेजकर उनकी गहन जांच शुरू कर दी है। यह मोबाइल उन अभ्यर्थियों से प्राप्त किए गए थे, जिन्होंने साक्ष्य के रूप में इन्हें सीआईडी को सौंपा था।
सीआईडी की जांच टीम को उम्मीद है कि इन मोबाइलों की फोरेंसिक जांच से पेपर लीक के मास्टरमाइंड का पता चल सकता है। इसके लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित किया गया है, जिसका नेतृत्व सीआईडी की डीआईजी संध्या रानी मेहता कर रही हैं। टीम में एसपी निधि द्विवेदी, रांची के ग्रामीण एसपी सुमित अग्रवाल, डीएसपी अमर कुमार पांडेय और डीएसपी मुन्ना प्रसाद गुप्ता भी शामिल हैं।
हालांकि, जांच पर अभ्यर्थियों का भरोसा कम होता जा रहा है। वे सीबीआई से इस मामले की जांच कराने की मांग कर रहे हैं और इसके लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी, जहां हाई कोर्ट जांच की स्थिति पर फैसला ले सकता है।
सीआईडी ने इस मामले की प्रारंभिक जांच में रांची और धनबाद के तीन परीक्षा केंद्रों को संदिग्ध माना है, जिनमें रांची के बेथनी कांवेंट हाई स्कूल, धनबाद के कुमार बीएड कॉलेज और यूपीजी हाई स्कूल शामिल हैं। सीआईडी ने इन तथ्यों को हाई कोर्ट के सामने भी पेश किया है।
इधर, सीआईडी को वॉट्सऐप और ईमेल के माध्यम से 30 से अधिक सूचनाएं प्राप्त हो चुकी हैं, जिनमें गड़बड़ी की शिकायतें और संदिग्ध अभ्यर्थियों की जानकारी है। अब सीआईडी को उम्मीद है कि फोरेंसिक रिपोर्ट से पूरे मामले का खुलासा होगा।
इस बीच, एफआईआर में हुई देरी को लेकर रांची के एसएसपी ने संबंधित थानेदारों को शोकाज नोटिस जारी किया था। थानेदारों ने इसका कारण इंटरनेट की खराबी और संबंधित तकनीकी समस्याएं बताई हैं।
क्या 26 मार्च को हाई कोर्ट की सुनवाई से इस पेपर लीक मामले का सच्चा पर्दाफाश होगा? यह सवाल अब भी अनुत्तरित है!
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