नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया, जिसमें हल्के मोटर वाहन (LMV) ड्राइविंग लाइसेंस धारकों को 7,500 किलोग्राम तक के भारी परिवहन वाहनों को चलाने का अधिकार दे दिया। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने यह फैसला सुनाया, जो बीमा कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है। बीमा कंपनियां पहले यह तर्क दे रही थीं कि LMV लाइसेंस धारक भारी वाहन चलाने के योग्य नहीं हैं और इस पर मुआवजा देने से बचने का प्रयास कर रही थीं। क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जिन ड्राइवरों के पास LMV लाइसेंस है, वे 7,500 किलोग्राम तक के ट्रांसपोर्ट वाहनों को भी चला सकते हैं। यह फैसला तब आया जब यह कानूनी सवाल उठ खड़ा हुआ था कि क्या LMV लाइसेंस धारक भारी वाहनों को चलाने के लिए अलग से लाइसेंस की आवश्यकता रखते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि अभी तक कोई प्रमाण नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि LMV लाइसेंस धारकों की वजह से सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है। बीमा कंपनियों का विरोधबीमा कंपनियां इस फैसले के खिलाफ थीं और उनका तर्क था कि LMV लाइसेंस धारक बड़े वाहनों को चलाने के लिए सक्षम नहीं हैं। उनका कहना था कि ट्रांसपोर्ट वाहन चलाते समय अगर कोई दुर्घटना होती है तो मुआवजा देने में उन्हें कठिनाई होती है। इस मुद्दे पर लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने 5 जजों की बेंच द्वारा यह फैसला दिया, जिससे बीमा कंपनियों की आपत्तियां खारिज हो गईं। मुकुंद देवांगन मामला और कानूनी विवादयह मामला 2017 के मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड केस से उत्पन्न हुआ था, जिसमें यह सवाल उठाया गया था कि क्या 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले ट्रांसपोर्ट वाहनों को LMV की परिभाषा से बाहर रखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले यह निर्णय लिया था कि इन वाहनों को LMV की श्रेणी में रखा जाएगा, और अब इस फैसले को पांच जजों की पीठ ने पुष्टि कर दी है। सुप्रीम कोर्ट का सामाजिक दृष्टिकोणसुप्रीम कोर्ट ने फैसले के दौरान कानून के सामाजिक प्रभाव को भी महत्वपूर्ण माना। अदालत ने कहा कि लाखों ड्राइवर इस फैसले के आधार पर काम कर रहे हैं और इस प्रकार के कानून में बदलाव से उनकी आजीविका पर असर पड़ सकता है। अदालत ने यह भी माना कि इस मामले में केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी निर्णय लिया जाना चाहिए। क्या होगा आगे?इस फैसले का असर न सिर्फ ड्राइवरों और बीमा कंपनियों पर पड़ेगा, बल्कि यह मोटर वाहन कानून और भविष्य में होने वाले संशोधनों पर भी असर डाल सकता है। केंद्र सरकार पहले ही मोटर वाहन अधिनियम में कई बदलावों पर विचार कर रही है, जो जल्द संसद में पेश हो सकते हैं। |