विख्यात धार्मिक गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि सरकार को हिंदू मंदिरों से अपने अधिग्रहण हटाने चाहिए। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि हिंदी को राष्ट्रभाषा और *रामचरितमानस* को राष्ट्रग्रंथ घोषित किया जाए।
रामभद्राचार्य महाराज का बड़ा बयान: हिंदू मंदिरों से सरकारी अधिग्रहण हटे, हिंदी बने राष्ट्रभाषा, रामचरितमानस हो राष्ट्रग्रंथ
विख्यात धार्मिक गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि सरकार को हिंदू मंदिरों से अपने अधिग्रहण हटाने चाहिए। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि हिंदी को राष्ट्रभाषा और *रामचरितमानस* को राष्ट्रग्रंथ घोषित किया जाए। उनके अनुसार, यह देश की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर की रक्षा के लिए आवश्यक है। रामभद्राचार्य ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाने की मांग की और कहा कि PoK को जल्द से जल्द भारत में शामिल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा हिंदू और मुस्लिम धर्मों पर की जाने वाली बयानबाजी की कड़ी आलोचना की। उनका कहना था, "सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि हिंदुत्व भारतीयता का पर्याय है। वर्तमान समय में मुस्लिम दल जो अत्याचार कर रहे हैं, उसे सहन करना हमारी भूल है।"
दुर्गा पूजा के दौरान हुए विवादों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे बड़ा अन्याय और अनर्थ नहीं हो सकता। रामभद्राचार्य ने मथुरा और वृन्दावन के मुद्दों पर भी अपनी राय प्रकट करते हुए कहा, जैसे मेरी गवाही से राम जन्मभूमि का समाधान निकला, वैसे ही मथुरा और वृन्दावन की दिशा भी बदलेगी। यदि कोर्ट बुलाएगा तो मैं मथुरा में गवाही देने के लिए तैयार हूँ। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज अपनी सहिष्णुता की अग्निपरीक्षा से गुजर रहा है, लेकिन अब और अत्याचार सहन नहीं किया जाएगा। बंगाल और बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों का उदाहरण देते हुए रामभद्राचार्य ने कहा कि हिंदू समाज को अब चुप नहीं रहना चाहिए।