पोषण माह के तहत आयोजित वर्चुअल “पोषण पाठशाला” में महिला एवं बाल विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव लीना जौहरी ने कहा — “स्वच्छता न केवल बच्चे के विकास बल्कि मां की सेहत की भी कुंजी है।” विशेषज्ञों ने बताया कि सही स्वच्छता व्यवहार अपनाने से गर्भवती महिला और शिशु के स्वास्थ्य में बड़ा सुधार संभव है।
पोषण माह के अंतर्गत एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) विभाग द्वारा आयोजित वर्चुअल “पोषण पाठशाला” में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में स्वच्छता के महत्व पर जोर दिया गया। इस कार्यशाला में ब्लॉक स्तरीय अधिकारी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल हुए।
कार्यशाला का विषय था — “महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण में स्वच्छता का महत्व।”
महिला एवं बाल विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव लीना जौहरी ने कहा, “स्वच्छता न केवल बच्चे के विकास बल्कि धात्री महिला की सेहत की भी कुंजी है। यदि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने क्षेत्रों में स्वच्छता व्यवहार को अपनाकर जागरूकता बढ़ाएंगी, तो प्रदेश में मातृ और शिशु स्वास्थ्य सूचकांकों में सुधार अवश्य होगा।”

यूपी टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (UPTSU) के उपनिदेशक डॉ. दिनेश सिंह ने कहा कि “स्वच्छता केवल सफाई नहीं, बल्कि एक व्यवहारिक परिवर्तन है।” उन्होंने बताया कि “विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, केवल सही समय पर हाथ धोने से 80 प्रतिशत बीमारियां रोकी जा सकती हैं।”
डॉ. सिंह ने एनएफएचएस-5 रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 88% लोग बिना फिल्टर या उबाले पानी का सेवन करते हैं, जिससे संक्रमण और कुपोषण बढ़ता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ सतीश श्रीवास्तव ने कहा कि गर्भावस्था में अस्वच्छता से संक्रमण, कम वजन वाले शिशु और मातृ मृत्यु दर में वृद्धि होती है।
आईसीडीएस निदेशक सरनीत कौर ब्रोका और उपनिदेशक डॉ. अनुपमा शांडिल्य ने स्वच्छता को मातृ और शिशु स्वास्थ्य सुधार का मूल आधार बताते हुए यूनिसेफ, यूपीटीएसयू, एनईसी और सीफार संस्थाओं को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
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