आंध्र प्रदेश के तिरुपति लड्डू विवाद की जांच के लिए गठित एसआईटी टीम ने भगवान वेंकटेश्वर मंदिर का दौरा किया। टीम ने मंदिर के विभिन्न खंडों, रसोई और लड्डू की गुणवत्ता जांच प्रयोगशाला का निरीक्षण किया, ताकि प्रसाद की गुणवत्ता और मिलावट पर कोई समझौता न हो।
आंध्र प्रदेश के तिरुपति में विवादों में घिरे भगवान वेंकटेश्वर मंदिर के लड्डू प्रसाद मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने आज तिरुमाला स्थित वेंकटेश्वर मंदिर का दौरा किया। छह सदस्यीय इस टीम ने मंदिर के विभिन्न खंडों का निरीक्षण किया, जिसमें विशेष रूप से प्रसाद बनाने वाली रसोई (पोटू) का निरीक्षण किया गया। इसके अलावा, टीम ने उस प्रयोगशाला का भी दौरा किया, जहां तिरुपति लड्डू की गुणवत्ता की जांच की जाती है, और आटा मिल की भी समीक्षा की।
एसआईटी ने मंदिर के अंदर के विभिन्न भागों और प्रसाद के निर्माण प्रक्रिया का गहन निरीक्षण किया। टीम ने यह सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अभिलेखों की जांच की कि लड्डू में उपयोग होने वाली सामग्री की गुणवत्ता सही है और इस प्रक्रिया में कोई भी भ्रष्टाचार या मिलावट तो नहीं हो रही। इससे पहले, तीन हफ्ते पहले भी एसआईटी की एक टीम ने तिरुपति का दौरा किया था, इस बार टीम ने विशेष रूप से लड्डू में इस्तेमाल होने वाले 'घी' की मिलावट की जांच की थी।
इस जांच की शुरुआत उस विवाद से हुई थी, जब आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि तिरुपति के लड्डू में जानवरों की चर्बी और घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। उनका आरोप था कि यह प्रसाद पहले वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के शासन में तिरुपति के वेंकटेश्वर मंदिर में चढ़ाया जाता था। इसके बाद इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, सीबीआई के नेतृत्व में एसआईटी टीम की जांच जारी है, जिसमें राज्य पुलिस और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अधिकारी भी शामिल हैं। इस जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि तिरुपति लड्डू में कोई मिलावट न हो और प्रसाद की गुणवत्ता में कोई समझौता न किया जाए।
तिरुपति मंदिर से जुड़ी यह जांच तब और भी महत्वपूर्ण हो गई, जब तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ट्रस्ट बोर्ड ने तिरुमाला में राजनीतिक बयानबाजी पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया और ऐसे बयानों के प्रचार पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। बोर्ड ने तिरुमाला में काम करने वाले गैर-हिंदू कर्मचारियों के बारे में भी आंध्र प्रदेश सरकार से उचित कार्रवाई की मांग की है।
टीटीडी ने यह भी संकल्प लिया है कि भविष्य में तिरुपति लड्डू में केवल उच्च गुणवत्ता वाले घी का उपयोग किया जाएगा ताकि प्रसाद की गुणवत्ता में कोई कमी न आए। इस मामले में ट्रस्ट बोर्ड के सदस्यों ने 80 प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की और कई प्रस्ताव पारित किए, जिसमें किसानों और भक्तों के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।
यह जांच तिरुपति लड्डू को लेकर उठे विवादों को सुलझाने और मंदिर के प्रसाद की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की मिलावट या भ्रष्टाचार की गुंजाइश न हो।
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