शहरी स्थानीय निकायों की आत्मनिर्भरता, तेज निर्णय क्षमता, और स्थानीय समस्याओं के त्वरित समाधान की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा 
                                
															
                                    
								  
								
																
																
								 
योगी सरकार ने नगर निकायों को दी बड़ी स्वायत्तता: अब 1 से 2 करोड़ तक के कार्यों की मिलेगी स्वतंत्र मंजूरी
एसओपी 2021 में हुआ संशोधन, विकास कार्यों में गुणवत्ता व पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर जोर
लखनऊ, 22 जून 2025 —
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी विकास को नई गति देने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। नगर विकास विभाग ने प्रदेश के नगरीय निकायों को अधिक वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता प्रदान करने हेतु वर्ष 2021 में जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में अहम संशोधन किया है। इसके तहत अब नगर पंचायतें ₹1 करोड़ और नगर पालिका परिषदें ₹2 करोड़ रुपये तक के निर्माण व विकास कार्य स्वतंत्र रूप से स्वीकृत व क्रियान्वित कर सकेंगी।
यह निर्णय न केवल नगरीय निकायों की क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर योजनाओं के समयबद्ध और जवाबदेह क्रियान्वयन को भी सुनिश्चित करेगा। पूर्व में यह सीमा नगर पंचायतों के लिए केवल ₹40 लाख तक सीमित थी, जिसे अब बढ़ाकर ₹1 करोड़ किया गया है।
एसओपी संशोधन के पीछे सोच: विकेंद्रीकरण और जवाबदेही का संतुलन
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने बताया कि इस संशोधन का उद्देश्य नगरीय निकायों को संविधान के 74वें संशोधन के अनुरूप अधिक वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वायत्तता देना है। यह कदम शहरी स्थानीय निकायों की आत्मनिर्भरता, तेज निर्णय क्षमता, और स्थानीय समस्याओं के त्वरित समाधान की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।
गुणवत्ता में कमी पर ठेकेदार व अधिकारी समान रूप से होंगे जिम्मेदार
संशोधित एसओपी के अनुसार, अब नगर निकायों द्वारा कराए जाने वाले निर्माण कार्यों में गुणवत्ता की कमी या मापदंडों से छेड़छाड़ की स्थिति में ठेकेदार और प्रशासनिक अधिकारी/अभियंता दोनों को समान रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा। यदि किसी कार्य में तकनीकी त्रुटियों या मानक से कम गुणवत्ता के कारण वित्तीय हानि होती है, तो उसकी 50% राशि ठेकेदार से और शेष 50% राशि अभियंता अथवा संबंधित प्रशासनिक अधिकारी से वसूली जाएगी।
यह वसूली जिलाधिकारी की निगरानी में की जाएगी और यदि संबंधित पक्ष से वसूली संभव न हो सके तो इसे भू-राजस्व की तरह वसूला जाएगा। यह प्रावधान निर्माण कार्यों में जवाबदेही तय करने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में निर्णायक साबित होगा।
सड़क निर्माण में तकनीकी नवाचारों को मिलेगी प्राथमिकता
प्रदेश सरकार ने नगरीय निकायों को निर्माण कार्यों में नई व वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाने का निर्देश दिया है। अब 3.75 मीटर से अधिक चौड़ी सड़कों के निर्माण में एफडीआर (फुल डेप्थ रिक्लेमेशन) तकनीक को प्राथमिकता दी जाएगी। यह तकनीक सड़क की उम्र बढ़ाने और उसकी मरम्मत लागत को कम करने में सहायक होती है।
वहीं, 3.75 मीटर तक चौड़ी सड़कों पर इंटरलॉकिंग टाइल्स का उपयोग केवल तब किया जाएगा जब वो मार्ग मुख्य सड़क न हो और वहां भारी वाहन न चलते हों। इसके अलावा सड़क किनारे नाली निर्माण के लिए भी मानकों को पुनर्परिभाषित किया गया है — जैसे कि 3.75 मीटर से कम चौड़ाई की सड़कों के लिए केसी-टाइप नाली और उससे अधिक चौड़ाई के लिए यू-टाइप आरसीसी नाली की अनिवार्यता।
GIS आधारित योजना और रिकॉर्ड की अनिवार्यता
नव संशोधित एसओपी में GIS मैपिंग, वार्डवार सड़क डायरेक्टरी और अभिलेखीकरण की भी अनिवार्यता तय की गई है। यह प्रक्रिया स्थानीय स्तर पर भविष्य की दीर्घकालिक योजनाओं के निर्माण में मदद करेगी और समेकित विकास सुनिश्चित करेगी। नगर निकायों को निर्देशित किया गया है कि वे प्रत्येक विकास कार्य को सड़क, जल निकासी और स्ट्रीट लाइटिंग के समेकन के साथ क्रियान्वित करें, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग हो और जनहित में अधिकतम परिणाम मिल सके।
विकास कार्यों की गुणवत्ता के लिए प्रमाणिकता अनिवार्य
सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब नगरीय विकास कार्यों में गुणवत्ता के मापदंडों की अवहेलना नहीं की जाएगी। प्रत्येक निर्माण कार्य की तकनीकी जाँच, प्रमाणिकता रिपोर्ट, तथा नियमित निगरानी अनिवार्य कर दी गई है। इससे विकास कार्यों में पारदर्शिता, समयबद्धता और स्थायित्व सुनिश्चित होगा।
नगरीय प्रशासन के लिए ऐतिहासिक पहल
नगर विकास विभाग द्वारा किया गया यह संशोधन नगरीय शासन प्रणाली को अधिक उत्तरदायी, पारदर्शी और सशक्त बनाएगा। इससे प्रदेश के नगर निकाय स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप कार्ययोजनाएं बना सकेंगे और राज्य सरकार पर निर्भरता कम होगी। यह निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस नीति को दर्शाता है, जिसमें गांव, नगर और शहर सभी को समरूप विकास की धारा में लाना प्राथमिकता है।
 
							 
						
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