उत्तर प्रदेश सरकार ने नॉन हाइब्रिड धान की कुटाई में 1% छूट की घोषणा की। इससे राइस मिल उद्योग सुदृढ़ होगा, 2 लाख लोग रोजगार सुरक्षित होंगे और 15 लाख किसान लाभान्वित होंगे।
प्रदेश सरकार ने राइस मिल उद्योग को प्रोत्साहित करने और नॉन हाइब्रिड धान की कुटाई को बढ़ावा देने के लिए इसके रिकवरी प्रतिशत में 1 प्रतिशत की छूट प्रदान की है। यह कदम न केवल चावल मिलों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाएगा बल्कि उद्योग को नई ऊर्जा और मजबूती भी देगा।
वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि इस छूट से चावल मिलें सरकारी क्रय केन्द्रों पर खरीदे गये नॉन हाइब्रिड धान की कुटाई हेतु उत्साहित होंगी। इससे राइस मिलों में कार्यरत लगभग 2 लाख लोगों के रोजगार में मजबूती आएगी और अनुमानित 13 से 15 लाख किसान लाभान्वित होंगे। छूट की राशि के समतुल्य धनराशि राज्य सरकार द्वारा इस वर्ष 166.51 करोड़ रूपए के बजट से प्रतिपूर्ति की जाएगी।
उन्होंने बताया कि चावल मिल उद्योग के अस्तित्व को मजबूत करने के लिए यह कदम आवश्यक था क्योंकि पहले नॉन-हाइब्रिड धान की कुटाई में अपेक्षित रिकवरी न मिलने के कारण कई मिलें खरीद में रुचि नहीं लेती थीं। अब छूट की प्रतिपूर्ति से वे अपनी मशीनों और क्षमता को बढ़ा सकेंगी।
खन्ना ने कहा कि इस पहल से किसानों को न केवल हाईब्रिड बल्कि देशी प्रजातियों के धान की बुआई को भी प्रोत्साहन मिलेगा। प्रदेश में अब तक 4100 क्रय केन्द्रों पर धान खरीद शुरू हो चुकी है, और 2,53,339 किसानों ने पंजीकरण कराया है। इस खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में अब तक 1.41 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 2.5 गुना अधिक है।
इस पहल से राइस मिल उद्योग को मजबूती मिलेगी, किसानों की आय बढ़ेगी और प्रदेश में खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।
COMMENTS