Sunday, June 01, 2025

डिजिटल धोखाधड़ी: कैसे साइबर अपराधी आपका शिकार बनाते हैं और लाखों की लूट करते हैं?

New Delhi , Latest Updated On - Dec 07 2024 | 11:00:00 AM
ज्ञापन

साइबर अपराधी कैसे चुनते हैं अपना शिकार और किस तरह 'डिजिटल अरेस्ट' जैसे ठगने के तरीके इस्तेमाल करते हैं? जानें साइबर ठगी से बचने के तरीके, विशेषज्ञ की सलाह और पीड़ितों की असल कहानियां।

विज्ञापन

आज के डिजिटल दौर में साइबर अपराध एक वैश्विक संकट बन चुका है। यह खतरा अब इंटरनेट की अंधेरी गली तक सीमित नहीं है; बल्कि यह हमारे रोजमर्रा के जीवन में घुस चुका है, जहां अपराधी किसी भी मासूम व्यक्ति को अपनी जाल में फंसा सकते हैं। और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये अपराधी किसी को भी नहीं छोड़ते—वह चाहे व्यापारी हो, सरकारी कर्मचारी हो, पुलिसकर्मी हो, या फिर आम आदमी। ये सबको अपनी चालों में फंसाने के लिए उतने ही शातिर हैं, जितने वे होते हैं।

इन साइबर अपराधियों की सबसे बड़ी ताकत है उनका शिकार चुनने का तरीका। वे न सिर्फ आपकी व्यक्तिगत जानकारी हासिल करते हैं, बल्कि आपके डिजिटल व्यवहार और वित्तीय स्थिति को भी बारीकी से निगरानी रखते हैं। सोशल मीडिया पर आपकी पोस्ट, तस्वीरें, और वीडियो के माध्यम से ये अपराधी आपका बैकग्राउंड समझते हैं और तय करते हैं कि आप उनके लिए एक आसान शिकार हैं या नहीं।

‘डिजिटल अरेस्ट’ का जाल: धोखाधड़ी का एक नया तरीका

इनमें से सबसे खतरनाक और नया तरीका है 'डिजिटल अरेस्ट' स्कैम, जिसमें अपराधी खुद को कस्टम या ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) अधिकारी बताकर आपको डराने-धमकाने का काम करते हैं। ये अपराधी आपको यह यकीन दिलाने में सफल होते हैं कि आप किसी बड़े अपराध में शामिल हैं—जैसे मनी लॉन्ड्रिंग या टैक्स चोरी। फिर, वे आपको डर के आधार पर पैसे की मांग करते हैं या आपके निजी जानकारी की चोरी करते हैं।

इन अपराधियों की यह रणनीति इतनी सटीक होती है कि लाखों लोग उनके जाल में फंस जाते हैं। इस साल अब तक पूरे देश से 19 लाख से ज्यादा साइबर अपराध की शिकायतें आई हैं, जिनमें से 11 लाख अभी तक लंबित हैं। यह आंकड़ा इस बात का प्रतीक है कि साइबर अपराध अब हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है और यह दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।


एक पीड़ित की कहानी: भरोसा और धोखा

दिल्ली के एक व्यापारी की कहानी कुछ इस तरह है—13 मार्च को उसे व्हाट्सएप पर एक कॉल आई, जिसमें कॉलर ने खुद को एक मल्टीनेशनल कंपनी का डायरेक्टर बताया और मुफ्त में शेयर ट्रेडिंग सिखाने का ऑफर दिया। इस व्यापारिक प्रस्ताव ने उसे आकर्षित किया और वह दो व्हाट्सएप ग्रुप्स में शामिल हो गया, जहां शेयर ट्रेडिंग सिखाने के लिए रोज एक घंटे की कक्षा होती थी।

धीरे-धीरे ठग ने उसे निवेश करने के लिए उकसाया। उसने एक एप के जरिए ₹69,10,000 निवेश किए, लेकिन जब वह अपनी रकम निकालने की कोशिश करता है, तो वह पैसे उसे नहीं मिले। तब उसे एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो चुका है। व्यापारी ने 6 जून को साइबर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने अपराधियों के खातों में ₹36 लाख की राशि फ्रीज करवाई, लेकिन पैसा तभी मिल सकेगा जब कोर्ट आदेश देगी।

व्यापारी का कहना है कि "सावधानी ही बचाव है। यह अनुभव मेरे व्यवसाय पर गहरा असर डाल चुका है और अब तक पुलिस और कोर्ट के चक्कर में समय और पैसे की बर्बादी हो चुकी है।"

साइबर अपराध के हॉटस्पॉट: जहां से चलती है धोखाधड़ी की साजिश

साइबर ठगी की समस्या अब एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन चुकी है, लेकिन कुछ क्षेत्र विशेष रूप से इन अपराधों के केंद्र बन गए हैं। राजस्थान के भरतपुर, उत्तर प्रदेश का मथुरा, हरियाणा का नूंह, झारखंड का जामताड़ा, और अन्य स्थानों से सबसे ज्यादा धोखाधड़ी की रिपोर्ट्स आ रही हैं। यहां के अपराधी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय रहते हैं, जहां वे विभिन्न ठगी के तरीकों से लोगों को ठगते हैं।

साइबर ठगी के नए तरीके: कैसे आपकी ऑनलाइन गतिविधियां बन सकती हैं खतरे की घंटी

साइबर अपराधी अब सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल अपने शिकार की पहचान करने के लिए करते हैं। सेक्सटार्शन के नाम पर वसूली, ओएलएक्स और कस्टमर केयर जैसे जाल, ओटीपी स्कैम, और डिजिटल मीडिया के माध्यम से अब अपराधी आपके व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी तक पहुंचने की कोशिश करते हैं। ये आपकी पोस्ट, तस्वीरें, वीडियो, और यहां तक कि आपके ऑनलाइन व्यवहार को भी बारीकी से देख कर तय करते हैं कि आप उनके लिए एक आदर्श शिकार हैं या नहीं।

कैसे बचें साइबर ठगी से: विशेषज्ञ की सलाह

पूर्व आईपीएस अधिकारी और फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक त्रिवेणी सिंह ने साइबर ठगी से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:

  1. URL की जाँच करें: सुनिश्चित करें कि वेबसाइट का URL HTTPS से शुरू हो।
  2. पासवर्ड बदलते रहें: पासवर्ड में बड़े और छोटे अक्षर, संख्या और विशेष प्रतीक का उपयोग करें और हर 45 दिन में पासवर्ड बदलें।
  3. फ्री सॉफ़्टवेयर डाउनलोड करने से पहले वेबसाइट होस्टिंग की जांच करें
  4. ऑनलाइन बैंकिंग के लिए वेबसाइट URL मैन्युअली टाइप करें
  5. अनजान ईमेल के अटैचमेंट या लिंक पर क्लिक न करें
  6. केवल आधिकारिक ऐप स्टोर से एप्स डाउनलोड करें
  7. रिमोट एक्सेस एप का इस्तेमाल न करें, खासकर जब वह किसी अनजान व्यक्ति से आ रहा हो
  8. फ्री या असुरक्षित Wi-Fi का इस्तेमाल शॉपिंग और बैंकिंग के लिए न करें
  9. अनजान नंबर से आने वाली वीडियो कॉल्स को रिसीव न करें

निष्कर्ष: डिजिटल दुनिया में सतर्कता जरूरी

जैसे-जैसे हम डिजिटल सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं, वैसे-वैसे साइबर अपराधियों के शिकार होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। ये अपराधी न सिर्फ तकनीकी रूप से सक्षम हैं, बल्कि ये हमारी रोजमर्रा की जीवनशैली और भरोसे का भी फायदा उठाते हैं। एक ठगी का शिकार बनने से पहले हमें सतर्क रहना होगा। हमारी जानकारी, व्यवहार और ऑनलाइन गतिविधियों को बारीकी से समझकर ये अपराधी हमला करते हैं।

इसलिए, अगली बार जब आपको किसी अजनबी का कॉल या मैसेज मिले, तो एक पल के लिए सोचें—क्या यह सच में वैसा ही है जैसा यह लगता है, या यह एक और साइबर अपराधी का जाल है?

विज्ञापन
  • #CyberSecurity #DigitalFraud #OnlineScams #CyberCrimePrevention #SextortionAwareness #FraudAlert #DigitalSafety
  • Related News

    ज्ञापन

    Newsletter

    For newsletter subscribe us

    वजञापन
    आपकी राय
    आप भारती क्रिकेट टी के श्रेष्ठ कप्तान इनमे से किसे मानते हैं?




    COMMENTS
    All Comments (11)
    • V
      vijaykumar
      vijaykumar@pearlorganisation.com
      25/12/2023
      Lorem ipsum, dolor sit amet consectetur adipisicing elit. Earum autem perferendis ad libero at cumque ipsa labore consequatur inventore eaque
      A
      arif
      arif@pearlorganisation.com
      25/12/2023
      Lorem ipsum, dolor sit amet consectetur adipisicing elit. Earum autem perferendis ad libero at cumque ipsa labore consequatur inventore eaque
      A
      ajaykumar
      ajaykumar@pearlorganisation.com
      25/12/2023
      Lorem ipsum, dolor sit amet consectetur adipisicing elit. Earum autem perferendis ad libero at cumque ipsa labore consequatur inventore eaque
      H
      harshit
      harshit@pearlorganisation.com
      25/12/2023
      very intresting news
      A
      ankitankit
      ankitankit@pearlorganisation.com
      27/12/2023
      Good
      H
      harshit
      harshit@pearlorganisation.com
      29/12/2023
      good news
      R
      rahul+11
      rahul+11@pearlorganisation.com
      15/01/2024
      Nice
      R
      rahul+11
      rahul+11@pearlorganisation.com
      15/01/2024
      Bisarkh police station, during checking at Char Murti intersection, spotted an FZ MOSA carrying two persons towards Surajpur.
      R
      rahul
      rahul@pearlorganisation.com
      02/02/2024
      test
      H
      harshit
      harshit@pearlorganisation.com
      02/02/2024
      अच्छा
      R
      rahul
      rahul@pearlorganisation.com
      08/02/2024
      अच्छा