शामली में एसटीएफ मेरठ की मुठभेड़ में एक लाख का इनामी बदमाश अरशद ढेर हो गया। 17 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाला अरशद, जो कग्गा और मुकीम काला गैंग का शार्प शूटर था, हत्या, डकैती और लूट जैसी संगीन वारदातों में शामिल था। जेल से बाहर आने के बाद भी वह अपराध की दुनिया से बाहर नहीं निकल सका। अंततः पुलिस के साथ मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई, जिसने उसकी खौ़फनाक यात्रा का अंत कर दिया।
शामली में सोमवार रात को एक दिलचस्प और रोमांचक घटनाक्रम हुआ, जब एसटीएफ मेरठ ने चौसाना-गंगोह मार्ग पर कार सवार चार बदमाशों से मुठभेड़ की। इस मुठभेड़ में एक लाख के इनामी कुख्यात बदमाश अरशद को ढेर कर दिया गया, जो कग्गा गैंग और मुकीम काला गैंग का शार्प शूटर था। क्या था अरशद का आपराधिक सफर और कैसे वह अपराध की दुनिया में फंसा? आइए जानते हैं पूरी कहानी।
"बचपन में शांत, फिर कुख्यात अपराधी बना अरशद"
अरशद का जीवन एक गहरी काली मंशा की ओर मोड़ लिया, जब वह कुख्यात बदमाश मुस्तफा उर्फ कग्गा के संपर्क में आया। बाढ़ी माजरा गांव का रहने वाला अरशद, अपने चार भाइयों में सबसे छोटा था। उसके बड़े भाई खेती-बाड़ी करते थे, लेकिन अरशद की जिंदगी में एक अलग ही मोड़ आया। मात्र 17 साल की उम्र में उसने पहली बार डकैती को अंजाम दिया। उस घटना ने उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया।
"कैसे जेल से बाहर आकर फिर से अपराध की दुनिया में घुसा अरशद?"
साल 2011 में उसने पहली डकैती को अंजाम दिया, और फिर वह एक के बाद एक अपराधों की दुनिया में फंसता गया। हत्या, लूट और डकैती जैसे संगीन अपराधों में शामिल रहा, और साल 2013 में जेल भी गया। लेकिन जेल से बाहर आने के बाद उसने फिर से अपराध का रास्ता पकड़ लिया। क्या वह सुधारने की कोशिश कर रहा था, या फिर अपराध उसकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था?
"जमात में जाने के बाद भी क्यों नहीं सुधरा?"
अरशद के परिवार ने उसकी सुधार के लिए बहुत कोशिशें कीं। तीन माह पहले ही उसे राजस्थान में जमात भेजा गया था, जहां परिजनों ने उम्मीद की थी कि वह सुधर जाएगा। जमात से लौटने के बाद अरशद नमाज भी पढ़ने लगा था, लेकिन इसके बावजूद उसकी जिदगी ने वही पुराना मोड़ लिया। कुछ ही दिन बाद, वह फिर से अपराध की दुनिया में लौट आया और मुठभेड़ में मारा गया।
"क्यों हुई मुठभेड़?"
सोमवार रात एसटीएफ को सूचना मिली कि अरशद और उसके गैंग के साथी शामली के झिंझाना क्षेत्र में लूटपाट की योजना बना रहे हैं। एसटीएफ ने कार को रुकवाने की कोशिश की, लेकिन बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद हुई जबरदस्त मुठभेड़ में अरशद समेत चार बदमाश मारे गए। इस मुठभेड़ में एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील भी गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें गुरुग्राम के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
"अरशद के आपराधिक कारनामे और गैंगवार"
अरशद ने अपने जीवन में कई वारदातों को अंजाम दिया। 2011 में उसने करनाल के किसानों से लूटपाट की, फिर 2013 में गंगोह में व्यापारी से बीस लाख रुपये लूटे और व्यापारी के गनर इकराम को गोली मार दी थी। इसके बाद वह जेल गया, लेकिन जमानत पर बाहर आकर फिर से अपराध की दुनिया में वापस लौट आया। नवंबर 2024 में उसने भारत फाइनेंस बैंक में डकैती की वारदात को अंजाम दिया था, जहां वह अपने गैंग के साथी मंजीत के साथ था।
"किसी को नहीं छोड़ा, लेकिन किस्मत ने उसे भी नहीं छोड़ा"
यह मुठभेड़ अरशद और उसके गैंग के खात्मे की शुरुआत हो सकती है। डीआईजी सहारनपुर रेंज अजय साहनी ने कहा कि इन गैंगों के सदस्य लंबे समय से अपराधों को अंजाम दे रहे थे, लेकिन अब उनके खात्मे के बाद यूपी और हरियाणा में अपराधों में कमी आएगी।
इस घटना ने साबित कर दिया कि अपराध की दुनिया में एक न एक दिन हर बदमाश का अंत होता है, चाहे वह कितना भी शातिर क्यों न हो।
"एसटीएफ की शानदार सफलता पर उठे सवाल"
इस मुठभेड़ के बाद एसटीएफ टीम को पुरस्कृत किए जाने की संभावना है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह पूरी तरह से खत्म हो गया, या फिर और भी ऐसे गैंग सक्रिय हैं जो समाज के लिए खतरा बने हुए हैं?
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