नोएडा प्राधिकरण ने हाल ही में ग्राम सलारपुर और सोरखा में अवैध निर्माणों के खिलाफ सघन अतिक्रमण अभियान चलाकर कुछ छोटे निर्माणों को ध्वस्त किया।
अवैध निर्माण के खिलाफ कार्यवाही: नोएडा प्राधिकरण का दिखावटी अभियान?
नोएडा प्राधिकरण ने हाल ही में ग्राम सलारपुर और सोरखा में अवैध निर्माणों के खिलाफ सघन अतिक्रमण अभियान चलाकर कुछ छोटे निर्माणों को ध्वस्त किया। यह कार्यवाही वर्क सर्किल-6 के नेतृत्व में की गई, जिसमें भूलेख टीम और वर्क सर्किल-6 के एसएम ने एक संयुक्त अभियान चलाया। इस अभियान के तहत अवैध प्लॉटिंग, बाउंड्रीवाल और तीन शेड वाली फैंसिंग को ध्वस्त किया गया। इसके अलावा, कई निर्माणों पर अंतिम नोटिस भी चस्पा किए गए, जिनमें ग्राम सोरखा के खसरा नम्बर 44 और 46 शामिल हैं।
इस प्रेस रिलीज़ से स्पष्ट होता है कि नोएडा प्राधिकरण अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का दावा कर रहा है, लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या यह कार्यवाही वास्तव में पूरी तरह से निष्पक्ष और ईमानदार है, या यह सिर्फ दिखावे के लिए की जा रही है? कई सवाल अब भी अनुत्तरित हैं, जो इस अभियान की पारदर्शिता और प्राधिकरण के अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर संदेह पैदा करते हैं।
अवैध निर्माण कैसे पनपते हैं?
यह समझना महत्वपूर्ण है कि अवैध निर्माण एक दिन में नहीं होते। जब ग्राम सलारपुर और सोरखा जैसी जगहों पर अवैध प्लॉटिंग, बाउंड्रीवाल, और अन्य निर्माण किए जा रहे थे, तब वर्क सर्किल-6 के संबंधित अधिकारी कहां थे? क्या उन्होंने जानबूझकर इस अवैध निर्माण की अनदेखी की? इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण संभव नहीं है।
कई बार ऐसा देखा गया है कि छोटे-बड़े बिल्डर्स या स्थानीय नेता प्राधिकरण की नज़रों के सामने अवैध निर्माण करते हैं, और प्राधिकरण इसे नजरअंदाज कर देता है। जब तक जनता या मीडिया का दबाव नहीं पड़ता, तब तक अधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं। यह प्रक्रिया दर्शाती है कि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना अवैध निर्माण का पनपना नामुमकिन है। इसके बाद जब प्राधिकरण पर दबाव बनता है, तो वे सिर्फ दिखावटी रूप से छोटे निर्माणों को गिराने का अभियान चलाते हैं, जबकि बड़े और वाणिज्यिक निर्माणों को नजरअंदाज किया जाता है।

प्राधिकरण की जिम्मेदारी: एक कठोर सवाल
नोएडा प्राधिकरण से यह सीधे तौर पर पूछा जाना चाहिए कि जब ये अवैध निर्माण हो रहे थे, तो उनके संबंधित अधिकारी क्या कर रहे थे? क्या उन्होंने जानबूझकर इन निर्माणों को अनुमति दी, या फिर यह उनके नाक के नीचे हो गया?
नोएडा के कई इलाकों में अवैध कॉलोनियां और बड़े वाणिज्यिक निर्माण आज भी बिना किसी रोक-टोक के पनप रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या प्राधिकरण की यह जिम्मेदारी नहीं है कि वह पहले से इन गतिविधियों पर नजर रखे और तुरंत कार्यवाही करे?
आज जब नोएडा प्राधिकरण इन अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्यवाही करने का दावा कर रहा है, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह वही प्राधिकरण है जिसने पहले इन अवैध निर्माणों को पनपने दिया। केवल छोटे-छोटे निर्माणों को गिराकर बड़े अवैध निर्माणों को नज़रअंदाज़ करना इस बात की ओर इशारा करता है कि यह कार्यवाही सिर्फ दिखावे के लिए की जा रही है।
न्याय की मांग
अवैध निर्माण सिर्फ एक तकनीकी मुद्दा नहीं है, यह भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक है। अगर नोएडा प्राधिकरण सही मायनों में ईमानदारी से काम कर रहा होता, तो ये अवैध निर्माण पहले ही रुक गए होते। प्राधिकरण को न केवल अवैध निर्माणों को ध्वस्त करना चाहिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में इस तरह की गतिविधियों को कोई स्थान न मिले।
ध्यान भटकाने की कोशिश
इस तरह की कार्यवाहियां अक्सर जनता और मीडिया का ध्यान भटकाने के लिए की जाती हैं। बड़े निर्माणों को छोड़कर सिर्फ छोटे निर्माणों को गिराना यह दर्शाता है कि प्राधिकरण अपने दायित्वों से भाग रहा है। यह केवल जनता को दिखाने के लिए एक नाटक है, ताकि यह लगे कि प्राधिकरण काम कर रहा है, जबकि हकीकत कुछ और ही है। यह सिर्फ एक प्रशासनिक विफलता नहीं है, बल्कि यह भ्रष्टाचार का एक ज्वलंत उदाहरण भी है। बड़े पैमाने पर हो रहे इन अवैध निर्माणों को रोकने के लिए प्राधिकरण को कठोर कदम उठाने होंगे। इसमें संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।
समाप्ति विचार
अवैध निर्माणों के खिलाफ इस तरह की कार्यवाहियां तब तक सफल नहीं हो सकतीं, जब तक कि प्राधिकरण खुद पारदर्शी और जिम्मेदार न बने। एक तरफ जहाँ नोएडा प्राधिकरण जनता को यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वह अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त है, वहीं दूसरी ओर वह अपने ही अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार को छिपाने का प्रयास कर रहा है। अब वक्त आ गया है कि नोएडा प्राधिकरण जनता और मीडिया के सामने पूरी पारदर्शिता के साथ अपना रुख साफ करे। उन्हें यह बताना चाहिए कि वे भविष्य में इस तरह के अवैध निर्माणों को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठा रहे हैं। अवैध निर्माण केवल कानून का उल्लंघन नहीं है, यह भ्रष्टाचार और प्रशासनिक विफलता का प्रतीक है, जिसे रोकने के लिए हमें सतर्क रहना होगा और नोएडा प्राधिकरण को उसकी जिम्मेदारी का एहसास कराना होगा।
टिप्पणी
यह बेहद चिंताजनक है कि नोएडा प्राधिकरण का यह अभियान सिर्फ दिखावे के लिए चलाया जा रहा है। छोटे निर्माणों को गिराकर बड़े अवैध निर्माणों को नजरअंदाज करना प्रशासन की नाकामी और भ्रष्टाचार का साफ संकेत है। आखिरकार जब ये अवैध कॉलोनियां बन रही थीं, तब संबंधित अधिकारी कहां थे? प्राधिकरण को जवाब देना चाहिए कि उन अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारियां क्यों नहीं निभाई और क्या कार्रवाई उन पर की जाएगी? नोएडा प्राधिकरण की इस प्रकार की नाटकबाज़ी अब और नहीं चलेगी। जनता को मूर्ख बनाना बंद करें और अवैध निर्माणों के खिलाफ ईमानदारी से कार्यवाही करें।