पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता को प्राथमिकता देते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ई-वेस्ट निस्तारण को लेकर एक बड़ी पहल की है। घरेलू स्तर पर बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक कचरे को वैज्ञानिक पद्धति से निपटाने के उद्देश्य से प्राधिकरण ने 'एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट' (EOI) जारी किया था, जिसके तहत सोमवार को पांच अग्रणी कंपनियों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय में अपना प्रस्तुतीकरण दिया।
क्या है पहल का उद्देश्य?
इस पहल का मुख्य उद्देश्य ग्रेटर नोएडा शहर में फैले अव्यवस्थित ई-वेस्ट जैसे पुराने मोबाइल, लैपटॉप, चार्जर, राउटर, इलेक्ट्रॉनिक खिलौने, खराब टीवी व अन्य उपकरणों का वैज्ञानिक, पर्यावरण-अनुकूल और सुरक्षित निस्तारण सुनिश्चित करना है। वर्तमान में अधिकांश ई-वेस्ट घरेलू कचरे के साथ फेंक दिया जाता है, जिससे भारी मात्रा में पर्यावरण प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न होते हैं। इसी समस्या को हल करने के लिए यह प्रयास किया गया है।
कंपनियों का प्रस्तुतिकरण: पहला कदम
प्राधिकरण की ओर से निकाले गए EOI के जवाब में पांच कंपनियों ने रुचि दिखाई और 2 जून 2025 को इन कंपनियों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के समक्ष अपनी-अपनी कार्ययोजना और टेक्नोलॉजी आधारित समाधान प्रस्तुत किए। यह प्रस्तुतिकरण प्राधिकरण की ओएसडी श्रीमती गुंजा सिंह, वरिष्ठ प्रबंधक चेतराम सिंह और प्रबंधक संध्या सिंह की उपस्थिति में हुआ। बैठक की निगरानी स्वयं एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस ने की, जिन्होंने इस परियोजना को एक ‘हरित मिशन’ बताया।
जल्द होगी सूचीबद्धता और अनुबंध
प्रस्तुतिकरण की गुणवत्ता और कार्यक्षमता के आधार पर प्राधिकरण जल्द ही इन कंपनियों को सूचीबद्ध करेगा। इसके बाद इन कंपनियों को ग्रेटर नोएडा में सक्रिय रूप से कार्य करने की अनुमति दी जाएगी। वे आम नागरिकों से ई-वेस्ट एकत्र करेंगी, जिन्हें आगे अपने अधिकृत प्लांट में वैज्ञानिक प्रक्रिया से रीसायकल किया जाएगा। यह कार्य एक निश्चित दर पर होगा, जिसे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा तय किया जाएगा।
निवासियों को मिलेगा लाभ
इस नई व्यवस्था के तहत ग्रेटर नोएडा के निवासी अपने पुराने व अनुपयोगी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सीधे इन सूचीबद्ध कंपनियों को दे सकेंगे। इसके बदले उन्हें कुछ धनराशि भी प्राप्त होगी। यह प्रयास न केवल शहर को स्वच्छ और ई-वेस्ट मुक्त बनाने में मदद करेगा, बल्कि आम नागरिकों को भी ई-कचरे के निपटान की सुविधा देगा। प्राधिकरण की वेबसाइट पर इन कंपनियों की संपर्क जानकारी और ई-वेस्ट दरों को सार्वजनिक किया जाएगा।
ई-वेस्ट से पर्यावरण को बड़ा खतरा
ई-वेस्ट में सीसा, पारा, कैडमियम, क्रोमियम, पॉलीब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्स जैसे हानिकारक रसायन होते हैं, जो सीधे तौर पर मिट्टी, जल और वायु को प्रदूषित करते हैं। यदि यह कचरा बिना प्रक्रिया के फेंका जाता है तो ये विषैले तत्व धीरे-धीरे पर्यावरण में घुलकर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न करते हैं। यही कारण है कि इसका वैज्ञानिक निस्तारण आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत बन चुका है।
सीईओ के निर्देशों में हुआ यह कार्य
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एनजी रवि कुमार के निर्देशन में यह पहल की गई है। उनका मानना है कि स्मार्ट सिटी के निर्माण के साथ-साथ स्मार्ट वेस्ट मैनेजमेंट प्रणाली भी उतनी ही जरूरी है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया कि इस दिशा में तेजी से कार्य किया जाए और ठोस मॉडल विकसित किया जाए।
जल्द सार्वजनिक होगी संपर्क जानकारी
प्राधिकरण ने जानकारी दी कि सूचीबद्ध कंपनियों की संपर्क विवरण व निर्धारित दरें प्राधिकरण की आधिकारिक वेबसाइट और सूचना पटल पर सार्वजनिक की जाएंगी। इससे नागरिकों को ई-वेस्ट निस्तारण के लिए प्रामाणिक स्रोतों की जानकारी आसानी से मिल सकेगी। नागरिक अपने नजदीकी वार्ड/सेक्टर कार्यालय से भी इनसे संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
‘हरित ग्रेटर नोएडा’ की ओर कदम
यह पूरी प्रक्रिया ग्रेटर नोएडा को 'हरित, स्वच्छ और स्मार्ट' बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। प्राधिकरण न केवल घरेलू कचरे के निपटान पर काम कर रहा है, बल्कि अब डिजिटल युग के सबसे खतरनाक अपशिष्ट – ई-वेस्ट – पर भी नियंत्रण की कार्ययोजना को मूर्त रूप दे रहा है। यह पहल नगर स्वच्छता रैंकिंग और पर्यावरणीय मानकों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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