साइबर ठगी के एक मामले में कार्रवाई करते हुए साइबर पुलिस ने दिल्ली से एक शातिर साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया
नोएडा साइबर थाना की बड़ी कार्रवाई: 50 लाख की साइबर ठगी करने वाला शातिर अभियुक्त गिरफ्तार, डिजिटल अरेस्ट कर की थी जालसाजी
उत्तर प्रदेश के नोएडा जनपद में साइबर क्राइम थाना पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। साइबर ठगी के एक मामले में कार्रवाई करते हुए साइबर पुलिस ने दिल्ली से एक शातिर साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसने खुद को दूरसंचार विभाग का अधिकारी बताकर महिला पीड़िता को डिजिटल गिरफ्तारी (Digital Arrest) का भय दिखाकर 50 लाख रुपए की ठगी कर ली थी।
घटना का विवरण:
पीड़िता ने 26 मई 2025 को थाना साइबर क्राइम, नोएडा पर एफआईआर संख्या 0047/2025 दर्ज कराई थी, जिसमें उसने बताया कि अज्ञात व्यक्ति ने खुद को टेलीकॉम डिपार्टमेंट का अधिकारी बताते हुए वीडियो कॉल के ज़रिये यह कहकर डराया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है। उसने फर्जी दस्तावेज भेजकर, गिरफ्तारी का भय दिखाया और धीरे-धीरे 50 लाख रुपए अपने बताए गए बैंक खातों में ट्रांसफर करवा लिए।
मामले की गंभीरता को देखते हुए थाना साइबर क्राइम द्वारा तत्परता से जांच शुरू की गई। बैंक खातों को तत्काल फ्रीज़ किया गया। जांच के दौरान पुलिस को खुफिया इनपुट मिला कि मुख्य अभियुक्त दिल्ली में मौजूद है। इस सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 17 जून 2025 को अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार अभियुक्त का विवरण:
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नाम: सुमित
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पिता का नाम: ओम प्रकाश
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निवासी: ओल्ड चंद्रावल, खाईबर पास मेस, सिविल लाइंस, थाना सिविल लाइंस, दिल्ली
पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे:
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में अभियुक्त सुमित ने खुलासा किया कि वह और उसके सहयोगी विभिन्न नामों से बैंक खाते खुलवाकर उन्हें साइबर ठगी के लिए इस्तेमाल करते थे। उसने माना कि:
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Yes Bank में खुलवाए गए एक खाते में पीड़िता द्वारा ट्रांसफर किए गए ₹4 लाख जमा हुए थे, जिसे तत्काल निकाल लिया गया।
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इसी तरह Bank of Baroda के खाते से ₹14 लाख निकाले गए।
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अब तक पुलिस ₹2,57,179 की राशि फ्रीज़ कर चुकी है और कोर्ट के आदेशानुसार रिफंड की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
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इसी मामले में पहले एक अन्य आरोपी को 03 जून 2025 को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
अन्य शिकायतें भी उजागर:
एनसीआरपी पोर्टल पर जांच के दौरान यह भी सामने आया कि अभियुक्त द्वारा प्रयोग किए गए खातों के खिलाफ दो और शिकायतें दर्ज हैं— एक उत्तर प्रदेश से और एक महाराष्ट्र से।
पुलिस का सतर्क संदेश – साइबर जागरूकता के बिंदु:
नोएडा साइबर थाना ने इस घटना के बहाने आम नागरिकों को साइबर अपराध से बचाने हेतु कुछ महत्वपूर्ण सुझाव जारी किए हैं:
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वीडियो कॉल पर पुलिस की वर्दी में किसी अनजान व्यक्ति द्वारा की गई धमकी भरी बातचीत पर विश्वास न करें। ऐसे मोबाइल नंबर और कथित पदनाम की पुष्टि संबंधित विभाग की सरकारी वेबसाइट या Google Search से करें।
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कोई भी WhatsApp कॉल या वीडियो कॉल जिसमें पुलिस या केंद्रीय एजेंसियों का हवाला दिया जाए, उसकी निकटवर्ती साइबर सेल या संबंधित संस्था (CBI, FedEx, Narcotics आदि) से जांच अवश्य कराएं।
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यदि कोई व्यक्ति कहे कि आपके नाम से कोई पार्सल मिला है जिसमें आपका आधार कार्ड या मोबाइल नंबर है, तो उस कॉल पर विश्वास न करें। यह एक आम साइबर फ्रॉड तरीका है।
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यदि कोई बैंक खाता आपके नाम से खोले जाने की बात कहे, तो तुरंत निकटतम बैंक शाखा में जाकर खाता बंद कराने की प्रक्रिया अपनाएं।
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कोई कॉल यदि आपके खाते में हवाला या मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी राशि आने की बात करे, तो स्पष्ट समझें कि कोई भी सरकारी संस्था ऐसी जानकारी फोन पर नहीं देती।
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क्लियरेंस सर्टिफिकेट जैसी बातें, कॉल या वीडियो के माध्यम से करना भी एक धोखाधड़ी तकनीक है जिससे आपको भ्रमित किया जाता है और बैंक से रकम निकाल ली जाती है।
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यदि कोई व्यक्ति आपको डरा-धमका रहा है, तो परिवार और नज़दीकी लोगों को तुरंत बताएं और संबंधित थाने में सूचना दें।
पुलिस की तत्परता और भविष्य की रणनीति:
नोएडा साइबर थाना की टीम ने जिस तरह से इस मामले में तीव्र और गोपनीय कार्रवाई की, वह सराहनीय है। पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में सक्रिय है। गिरफ्तार अभियुक्त से मिले इनपुट के आधार पर ठगी के पूरे नेटवर्क की परतें खोली जा रही हैं।
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