नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट पर कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने से इनकार किए जाने के बाद सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस फैसले का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग की है। दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि यह मामला राजनीतिक द्वेष और जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का उदाहरण है। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि न तो धन का और न ही किसी संपत्ति का स्थानांतरण हुआ, इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग का सवाल ही नहीं उठता। कांग्रेस ने इस मुद्दे को सड़क से संसद तक उठाने का ऐलान किया है।
दिल्ली से बड़ी राजनीतिक खबर सामने आई है। नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की चार्जशीट पर कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने से इनकार किए जाने के बाद देश की सियासत गरमा गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के “मुंह पर तमाचा” बताते हुए दोनों से इस्तीफे की मांग की है।
नई दिल्ली स्थित 10 राजाजी मार्ग पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मल्लिकार्जुन खरगे ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उनके साथ मंच पर कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश, कांग्रेस के कानूनी विभाग के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी और मीडिया एवं प्रचार विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा मौजूद थे।
खरगे ने कहा कि नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा की गई थी और भाजपा सरकार इसे मनी लॉन्ड्रिंग जैसे निराधार आरोपों से जोड़कर बदनाम करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरा मामला गांधी परिवार और कांग्रेस को राजनीतिक रूप से निशाना बनाने की साजिश है।
वहीं, मामले के कानूनी पहलुओं को स्पष्ट करते हुए डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई आधार ही नहीं बनता। उन्होंने बताया कि न तो किसी धन का स्थानांतरण हुआ और न ही किसी अचल संपत्ति का। आज भी सभी संपत्तियां एजेएल कंपनी के नाम पर ही हैं।
सिंघवी ने कहा कि एजेएल को कर्ज़-मुक्त करने के लिए बनाई गई कंपनी ‘यंग इंडियन’ भी एक गैर-लाभकारी संस्था है, जिसके निदेशकों को न वेतन मिलता है, न डिविडेंड और न कोई अन्य लाभ। उन्होंने आरोप लगाया कि सात वर्षों तक एजेंसियों द्वारा यह माना गया कि कोई प्रेडिकेट ऑफेंस नहीं बनता, इसके बावजूद 2021 में ईडी द्वारा केस दर्ज किया जाना राजनीतिक द्वेष को दर्शाता है।
साथ ही उन्होंने बताया कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे समेत कांग्रेस नेताओं से करीब 90 घंटे की पूछताछ के बावजूद एजेंसियों के हाथ कुछ नहीं लगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस इस बदले की राजनीति को सड़कों पर उजागर करेगी और देश को बताएगी कि किस तरह जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को दबाने की कोशिश की जा रही है।
अब सवाल यही है—
क्या कोर्ट का यह फैसला केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर बड़ा राजनीतिक संदेश है?
और क्या आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी टकराव और तेज़ होगा?
COMMENTS