Sunday, June 01, 2025

शरद पवार का तीखा हमला: 'गृह मंत्री पद की गरिमा बनाए रखें' – अमित शाह पर कड़ा पलटवार।

शरद पवार का अमित शाह पर हमला: "गृह मंत्री पद की गरिमा बनाए रखें"

New Delhi , Latest Updated On - Jan 14 2025 | 15:00:00 PM
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शरद पवार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें शाह ने 1978 में धोखेबाजी की राजनीति का जिक्र किया था। पवार ने कहा कि गृह मंत्री को अपने पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए और आरोप लगाया कि आजकल राजनेताओं के बीच सम्मान और संवाद की कमी है। पवार ने अमित शाह पर तीखा हमला करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान अपने अनुभवों को साझा किया और शाह के गुजरात से निर्वासन का जिक्र किया, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा गया है।

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महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान पर कड़ा रिएक्शन दिया है, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा गया है। पवार ने कहा कि गृह मंत्री को अपने पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए और यह भी जोड़ा कि, "जब मैं 1978 में मुख्यमंत्री था, तब मुझे नहीं पता कि अमित शाह कहां थे।"

दरअसल, अमित शाह ने एक कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए 1978 में हुई "धोखेबाजी की राजनीति" का उल्लेख किया था, जिसे "20 फुट जमीन में दफनाने का काम आप लोगों ने किया है"। इस बयान को शरद पवार के खिलाफ एक सीधी टिप्पणी के तौर पर देखा गया, क्योंकि 1978 में पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे।

पवार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मैंने मुख्यमंत्री रहते हुए जनसंघ के नेताओं जैसे उत्तमराव पाटिल को अपने मंत्रालय में शामिल किया। गृह मंत्री को हमेशा अपने पद की गरिमा का पालन करना चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि आजकल राजनेताओं के बीच सुसंवाद की कमी महसूस हो रही है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अमित शाह पर निशाना साधते हुए बताया, "अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे विपक्ष में रहते हुए भुज के भूकंप के बाद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। यह एक उदाहरण है कि कैसे हमारे पुराने नेता परस्पर सम्मान रखते थे।" पवार ने यह भी कहा, "इस देश ने कई बेहतरीन गृह मंत्रियों को देखा है, लेकिन कभी किसी को उनके राज्य से निर्वासित नहीं किया गया। जब अमित शाह गुजरात में नहीं रह पाए, तो वे बालासाहब ठाकरे से मदद मांगने आए थे।"
शरद पवार की यह टिप्पणी अमित शाह के खिलाफ एक तीखा हमला मानी जा रही है, विशेषकर तब जब 2010 में शोहराबुद्दीन शेख फर्जी एनकाउंटर मामले में अमित शाह को गुजरात से निर्वासित कर दिया गया था, हालांकि 2014 में उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। यह बयान राजनीतिक रणभूमि में नई हलचल पैदा कर सकता है।

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