उत्तर प्रदेश की बहू स्नेहा नवीन दूबे ने महाराष्ट्र के वसई विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की। पति नवीन दूबे शिवसेना में हैं, लेकिन स्नेहा ने राजनीति में अपनी पहचान बनाई। देवरिया के गांव में जश्न का माहौल, यूपी के लोगों का मिला आशीर्वाद।
महाराष्ट्र के वसई विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की टिकट पर स्नेहा नवीन दूबे की जीत ने न सिर्फ महाराष्ट्र, बल्कि उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भाटपाररानी क्षेत्र के जगन चक गांव को भी गर्वित कर दिया है। स्नेहा की राजनीति में पहली बार जीत से गांव में जश्न का माहौल बन गया और हर तरफ खुशी का तात्कालिक प्रदर्शन हुआ। गांव के लोग मिठाइयां बांटते और अबीर-गुलाल उड़ाते हुए बहू की सफलता का उत्सव मना रहे थे।
पति शिवसेना में, पत्नी भाजपा में: एक अनोखी राजनीतिक यात्रा
स्नेहा नवीन दूबे के पति नवीन दूबे शिवसेना के शिंदे गुट के सक्रिय नेता हैं, जबकि स्नेहा ने भाजपा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। यह एक दिलचस्प राजनीतिक स्थिति थी, जहां परिवार के दोनों सदस्य अलग-अलग पार्टियों से जुड़े हुए थे, लेकिन आपसी तालमेल और सहयोग से स्नेहा ने यह चुनावी मुकाम हासिल किया।
स्नेहा का राजनीति से पुराना नाता रहा है, क्योंकि उनके पिता, विवेक भाऊ पंडित, 2009 में वसई से निर्दलीय विधायक थे, जिन्हें शिवसेना का समर्थन प्राप्त था। स्नेहा ने इसी विरासत को आगे बढ़ाया और भाजपा के टिकट पर वसई में ही बहुजन विकास आघाडी पार्टी के वरिष्ठ नेता हितेंद्र ठाकुर को हराया।
देवरिया के गांव में जश्न, स्नेहा का आभार
स्नेहा की जीत की खबर जैसे ही जगन चक गांव में पहुंची, वहां के लोग खुशी से झूम उठे। गांव के लोग स्नेहा को उत्तर प्रदेश की बहू मानते हुए गर्व महसूस कर रहे थे। उनके ससुर श्याम सुंदर दुबे ने कहा, "मेरी बहू ने महाराष्ट्र में ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के लोगों से भी अपार स्नेह प्राप्त किया है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास' के मिशन को आगे बढ़ा रही हैं।"
स्नेहा ने भी चुनावी अभियान के दौरान उत्तर प्रदेश के लोगों का धन्यवाद किया और कहा कि उनका आशीर्वाद और सहयोग उनकी सफलता का मुख्य कारण था।
राजनीति से समाज सेवा की ओर एक दिलचस्प यात्रा
स्नेहा की सफलता केवल उनके परिवार की ही नहीं, बल्कि पूरे देवरिया जिले और पूर्वांचल के लिए गर्व की बात है। उनका यह राजनीतिक सफर सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि यूपी से महाराष्ट्र तक की लंबी यात्रा का प्रतीक है। स्नेहा नवीन की सामाजिक कार्यों में रुचि और महाराष्ट्र के वसई क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों ने उन्हें स्थानीय लोगों के बीच एक मजबूत पहचान दिलाई।
गांव के लोग, जिनमें विष्णु पांडे, श्यामू कुशवाहा, इंद्रजीत यादव, और अन्य लोग शामिल हैं, सभी खुशी से कहते हैं कि "उत्तर प्रदेश की बहू ने मुंबई में भी देवरिया का मान बढ़ाया है।"
एक परिवार, दो पार्टियाँ: राजनीति में बदलाव की नई कहानी
स्नेहा और उनके पति नवीन की राजनीतिक यात्रा इस बात का प्रतीक है कि राजनीति में बेशक विचारधारा और पार्टी अलग हो सकते हैं, लेकिन यदि परिवार का साथ और तालमेल मजबूत हो, तो सफलता जरूर मिलती है। स्नेहा का विजय मार्ग यह साबित करता है कि राजनीति केवल पार्टी के साथ नहीं, बल्कि लोगों के दिलों से जुड़ने की प्रक्रिया है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि स्नेहा अपनी इस राजनीतिक यात्रा को और किस दिशा में ले जाती हैं और किस तरह से महाराष्ट्र के वसई क्षेत्र के लोगों के लिए अपनी योजनाओं को लागू करती हैं।