दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण स्तर ने अब आंखों की सेहत पर गंभीर असर डालना शुरू कर दिया है। अस्पतालों में ड्राई आई सिंड्रोम, एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस और कार्निया क्षति के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। डॉक्टरों ने इसे मानव दृष्टि के भविष्य का संकट बताया है।
दिल्ली की हवा अब सिर्फ फेफड़ों के लिए ही नहीं, आंखों के लिए भी खतरा बन चुकी है। राजधानी में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने आंखों की नमी और दृष्टि दोनों को प्रभावित किया है। एम्स के सामुदायिक नेत्र विज्ञान विभाग के प्रभारी प्रो. प्रवीण वशिष्ठ के अनुसार, “प्रदूषित हवा आंखों की नमी छीन रही है, जिससे संक्रमण और जलन का खतरा दोगुना हो गया है।”
अस्पतालों में दो हफ्तों में 60% बढ़े मरीज — सबसे अधिक मामले ड्राई आई सिंड्रोम, एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस और कार्निया डैमेज के हैं। अनुमान है कि 10 लाख से अधिक दिल्लीवासी इन तकलीफों से जूझ रहे हैं, जिनमें लगभग 2 लाख बच्चे शामिल हैं।
साइंटिफिक रिपोर्ट्स 2025 के अनुसार, PM 2.5 में हर 1% वृद्धि 2.5 लाख नए नेत्र रोगी बढ़ा रही है। नवंबर 2024 में जब AQI बेहद खराब स्तर पर था, तब आंखों के संक्रमण के मामले दोगुने हुए थे। इस साल मोतियाबिंद के केस 30% और ग्लूकोमा के 8% तक बढ़ गए है

डॉक्टरों का कहना है कि PM2.5 स्तर ग्रामीण इलाकों से 24 गुना अधिक पाया गया है।
हर दिन 800 से 1000 मरीज आंखों की जलन या सूखापन की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।
सुझाव:
स्मॉग और धूल में पारदर्शी चश्मा पहनें
दिन में दो बार ठंडे पानी से आंखें धोएं
आइ ड्रॉप और एयर प्यूरिफायर का प्रयोग करें
ड्राइवरों की नियमित नेत्र जांच अनिवार्य हो
खुले में कूड़ा जलाने पर सख्त कार्रवाई
विशेषज्ञों का कहना है — “आंखों को बचाना अब व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जिम्मेदारी बन गया है।”
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