बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने अपनी हत्या की कई बार रची गई साजिशों का पर्दाफाश किया। 5 अगस्त 2024 की घटना को याद करते हुए शेख हसीना ने बताया कि वह और उनकी बहन शेख रेहाना महज कुछ मिनटों के अंतराल से मौत से बचीं। शेख हसीना का कहना है कि यह सब अल्लाह की इच्छा और कृपा से ही संभव हो सका। उन्होंने बताया कि कई बार उनके जीवन पर हमले हुए, जिनमें 2004 का ढाका ग्रेनेड हमला और 2000 में कोटालीपारा बम हमला शामिल हैं। इन हमलों में शेख हसीना को निशाना बनाया गया था, लेकिन हर बार वह अल्लाह के आशीर्वाद से बच निकलीं। शेख हसीना ने इस मौके पर अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा कि उन्हें अपने देश और घर से दूर होना पड़ा, लेकिन वह आज भी जीवित हैं क्योंकि उनका उद्देश्य अभी अधूरा है।
5 अगस्त, बांग्लादेश के इतिहास में वह तारीख कभी नहीं भुलाई जा सकेगी। एक वक्त था जब शेख हसीना प्रधानमंत्री पद पर आसीन थीं, लेकिन उस दिन के बाद उनके लिए परिस्थितियाँ इतनी बदल गईं कि उन्हें न केवल सत्ता से हाथ धोना पड़ा, बल्कि देश छोड़कर भारत भी जाना पड़ा। और इस दरमियान देश में हालात और भी बिगड़ते चले गए, खासकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और उनके घरों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमले बढ़ गए। अब, इस मामले में शेख हसीना ने अपनी जिंदगी पर हुए हमलों का खुलासा किया है, जो न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि दिल दहला देने वाले भी हैं।
"मैं और मेरी बहन की हत्या की साजिश, बस 25 मिनट का फर्क था मौत से"
शेख हसीना ने शुक्रवार को फेसबुक पर अपनी पार्टी, बांग्लादेश अवामी लीग के पेज पर एक ऑडियो संदेश जारी कर कहा, "मैं और मेरी बहन शेख रेहाना, बस कुछ मिनटों के अंतराल से मौत के मुँह से बाहर निकले। यह सब अल्लाह की इच्छा थी, अगर वह नहीं चाहते तो हम कभी जिंदा नहीं बच सकते थे।" उनका कहना है कि कई बार उनकी हत्या की साजिश रची गई थी, और वह इस बात को पूरी तरह से मानती हैं कि आज उनकी जान बची है तो वह अल्लाह की कृपा से ही संभव हो सका है।
क्या है हसीना की हत्या की साजिश का रहस्य?
यह घटना उस समय की है जब बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण की प्रणाली पर छात्रों द्वारा प्रदर्शन किए जा रहे थे। इस प्रणाली के तहत 1971 में स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण का प्रावधान था। विरोध प्रदर्शन ने देखते ही देखते देश भर में हिंसा का रूप ले लिया और 600 से अधिक लोगों की जान चली गई। शेख हसीना को इन उग्र हालातों के चलते प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और भारत भागना पड़ा था।
अल्लाह की दया से बची हूं, सबकुछ जलकर राख हो गया
हसीना ने भावुक होते हुए कहा, "मैंने अपने देश को खो दिया, अपना घर खो दिया, सबकुछ जलकर राख हो गया। लेकिन आज भी जिंदा हूं, यह केवल अल्लाह की कृपा है।" उनका यह बयान उन खतरनाक हमलों के संदर्भ में था, जिनका वह शिकार हो चुकी थीं।
2004 का ढाका ग्रेनेड हमला: एक और साजिश
हसीना ने 2004 में हुए ढाका ग्रेनेड हमले का भी जिक्र किया, जिसमें 24 लोग मारे गए थे और 500 से अधिक लोग घायल हुए थे। यह हमला अवामी लीग द्वारा आयोजित आतंकवाद विरोधी रैली के दौरान हुआ था, जब हसीना ने 20,000 लोगों की भीड़ को संबोधित किया था। इस हमले में शेख हसीना भी घायल हुई थीं, लेकिन वह किसी तरह मौत के मुँह से बाहर निकल आईं।
कोटालीपारा बम हमला: मौत का एक और प्रयास
शेख हसीना ने अपने ऑडियो संदेश में एक और साजिश का खुलासा किया, जो 21 जुलाई 2000 को कोटालीपारा में हुई थी। यहां 76 किलोग्राम का बम बरामद किया गया था, और दो दिन बाद फिर से 40 किलोग्राम का बम मिला था। यह सभी हमले शेख हसीना को मारने के इरादे से किए गए थे, लेकिन वह हर बार किसी न किसी तरह बच निकलीं।
सत्तासीन होने के बावजूद शेख हसीना के खिलाफ साजिशें
इतनी सारी साजिशों का शिकार हो चुकी शेख हसीना का कहना है, "इन हमलों के बावजूद मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि मैं हार मान लुंगी। मैं जानती हूं कि अल्लाह ने मुझे जिंदा रखा है, क्योंकि वह चाहता है कि मैं अपने देश और लोगों के लिए कुछ करूं।"
इस रहस्यमय कहानी में शेख हसीना की जिन्दगी की जद्दोजहद और उनकी जीवित रहने की संघर्ष कथा को देखकर यह साफ हो जाता है कि बांग्लादेश में उनकी सियासी यात्रा कितनी पेचीदी और खतरनाक रही है।
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