Sunday, June 01, 2025

48 घंटे में यून सुक योल की गिरफ्तारी का फैसला, दक्षिण कोरिया में सियासी हलचल तेज

यून सुक योल की गिरफ्तारी पर 48 घंटे में फैसला, सियासी संकट गहरा

New Delhi , Latest Updated On - Jan 17 2025 | 11:00:00 AM
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दक्षिण कोरिया: दक्षिण कोरिया की राजनीति इन दिनों किसी हाईवोल्टेज ड्रामे से कम नहीं है। राष्ट्रपति यून सुक योल महाभियोग का सामना कर रहे हैं और अब भ्रष्टाचार की जांच एजेंसी के रडार पर भी हैं। गुरुवार को अदालत ने उन्हें राहत देने से साफ इनकार कर दिया है, जिससे उनके खिलाफ चल रही जांच ने नया मोड़ ले लिया है। अब एंटी करप्शन एजेंसी के पास केवल 48 घंटे का समय बचा है, जिसमें उसे अदालत से उनकी गिरफ्तारी के लिए आवेदन करना होगा, या फिर उन्हें रिहा करना पड़ेगा।

राष्ट्रपति यून सुक योल को बुधवार को उनके आवास से हिरासत में लिया गया था, जब उन्होंने दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लगाने की घोषणा की थी। इसके बाद उनसे लगभग 10 घंटे तक पूछताछ की गई, लेकिन योल ने चुप रहने का अधिकार प्रयोग करते हुए कोई भी सवाल का जवाब नहीं दिया। इसके बाद उन्हें सियोल के पास स्थित डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया।

अदालत में योल के वकीलों ने उनकी रिहाई की मांग की, लेकिन सेंट्रल जिला कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। योल के खिलाफ जांच कर रही एंटी करप्शन एजेंसी और पुलिस, मिलिट्री के साथ मिलकर यह तय करने में लगी हैं कि उनके मार्शल लॉ लगाने के आदेश को बगावत के रूप में देखा जाए या नहीं। अब एजेंसी के पास 48 घंटे का समय बचा है, जिसमें उन्हें योल की गिरफ्तारी के लिए अदालत से आधिकारिक आदेश प्राप्त करना होगा।

इसके अलावा, योल के वकीलों ने यह भी दावा किया है कि बुधवार को उनके आवास पर हुई रेड और उन्हें हिरासत में लिया जाना पूरी तरह से गैरकानूनी था। इस बीच, योल के समर्थकों ने कोर्ट और डिटेंशन सेंटर के बाहर बड़ी संख्या में रैलियां निकालकर उनकी रिहाई की मांग की।

यून सुक योल के खिलाफ यह संकट तब और गहरा गया जब 3 दिसंबर 2024 को उन्होंने दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लागू करने का ऐलान किया था, जो 1980 के बाद देश के लोकतंत्र पर पहला बड़ा हमला था। हालांकि, यह केवल कुछ घंटों के लिए प्रभावी रहा और बाद में इसे वापस ले लिया गया। इसके बाद विपक्ष ने महाभियोग प्रस्ताव पर वोट करके उनके राष्ट्रपति पद की शक्तियां छीन ली थीं। अब यह मामला संवैधानिक न्यायालय के पास है, जो तय करेगा कि उन्हें पद से हटाया जाए या फिर आरोपों को खारिज किया जाए।

अब सवाल यह है कि क्या कोर्ट उनके खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश देगी या फिर उन्हें रिहा कर दिया जाएगा? आने वाले 48 घंटे दक्षिण कोरिया की राजनीति के लिए बेहद निर्णायक साबित हो सकते हैं।

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