गाजा में 15 महीने से चल रहे कातिलाना युद्ध के बाद, आखिरकार एक राहत की खबर आई है। इस्राइल और हमास के बीच एक समझौते पर मुहर लग चुकी है, जिससे न केवल युद्ध विराम का रास्ता साफ हुआ है, बल्कि दर्जनों बंधकों की रिहाई भी सुनिश्चित हो गई है।
यह समझौता तीन चरणों में लागू होगा। पहले चरण में, इस्राइल 33 बंधकों को रिहा करेगा, और बदले में हमास 250 फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त करेगा। इसके बाद, इस्राइली सेना गाजा से अपनी पोजीशन्स छोड़ने लगेगी। इस समझौते को लेकर काफी उठा-पटक हुई थी। हाल ही में, इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संघर्ष विराम और बंधकों की रिहाई के फैसले का ऐलान किया था, लेकिन कुछ आखिरी क्षणों में समस्याएं खड़ी हुई थीं, जिनका जिम्मेदार नेतन्याहू ने हमास को ठहराया।
हालांकि, यह खबर युद्ध से जूझ रहे गाजा के निवासियों के लिए उम्मीद की किरण बनी है, परंतु पूरा इलाका तबाह हो चुका है। गाजा के पुनर्निर्माण में कई पीढ़ियों का वक्त लग सकता है, और संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, गाजा को फिर से जीवित करने में 350 साल तक का समय लग सकता है!
इस समझौते के बाद, कुछ कड़ी प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। इस्राइल के दक्षिणपंथी नेता, इतामार बेन-ग्वीर ने इसे एक बडी गलती बताया है और धमकी दी है कि अगर कैबिनेट इस समझौते को मंजूरी देती है, तो उनकी पार्टी सरकार से बाहर हो जाएगी।
वहीं, मिस्र ने इस संघर्ष विराम को बिना देर किए लागू करने की अपील की है। ऐसी स्थिति में, जहां पिछले 15 महीनों में 46,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, अब सभी की निगाहें इस समझौते की सफलता पर टिकी हुई हैं।
क्या यह संघर्ष विराम सिर्फ एक तात्कालिक राहत होगा या गाजा में स्थायी शांति का सूत्र साबित होगा? क्या हमास अपने सभी बंधकों को छोड़ देगा? और क्या इस्राइल की सेना गाजा से पूरी तरह पीछे हटेगी? यह सभी सवाल अब भविष्य के गर्त में हैं, लेकिन इस बीच संघर्ष विराम का यह समझौता एक बड़ी उम्मीद बनकर सामने आया है।
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