अदाणी ग्रुप और उसके चेयरमैन गौतम अदाणी के खिलाफ अमेरिकी प्रशासन द्वारा की गई जांच को लेकर अब रिपब्लिकन पार्टी के एक प्रभावशाली सांसद ने सवाल उठाए हैं। हाउस ज्यूडिशियरी के सदस्य लांस गूडेन ने अमेरिकी अटॉर्नी जनरल मेरिक बी गारलैंड को एक कड़ी चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने न्याय विभाग की 'चुनिंदा' कार्रवाइयों पर चिंता जाहिर की। गूडेन का आरोप है कि इस प्रकार की कार्रवाई से भारत जैसे अमेरिका के प्रमुख सहयोगी देशों के साथ गठबंधनों को नुकसान हो सकता है।
7 जनवरी को लिखी अपनी चिट्ठी में गूडेन ने कहा कि न्याय विभाग को भारत जैसे अहम साझेदारों के साथ रिश्ते को ध्यान में रखते हुए फैसले लेने चाहिए, न कि विदेशी संस्थाओं के खिलाफ अनावश्यक जांचों में समय और संसाधन खर्च करने चाहिए। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस जांच के पीछे जॉर्ज सोरोस का कोई हाथ है, और यह सवाल किया कि इस कार्रवाई से क्या अमेरिका के वैश्विक गठबंधनों और आर्थिक विकास को क्षति नहीं पहुंचेगी।
गूडेन ने यह भी चेतावनी दी कि ऐसे फैसले अमेरिकी निवेशकों के लिए एक अप्रिय माहौल बना सकते हैं, जिससे भविष्य में देश में निवेश आने की संभावना घट सकती है। उनका कहना है कि न्याय विभाग को विदेशों में अफवाहों के पीछे दौड़ने के बजाय, अपने घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जैसे कि हिंसक अपराध और आर्थिक जासूसी के मामलों पर।
चिट्ठी में गूडेन ने यह भी उल्लेख किया कि न्याय विभाग को विदेशी मामलों में हस्तक्षेप करने की बजाय अमेरिका के भीतर की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए, ताकि देश के आर्थिक विकास को नुकसान न हो। उनका कहना था कि जब हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए अहम खतरे से निपटने में विफल होते हैं और इस तरह की कार्रवाई करते हैं, तो यह देश में निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए गलत संदेश भेजता है।
आखिरकार, गूडेन ने पूछा कि अगर अदाणी मामले में कोई अमेरिकी पक्ष नहीं है, तो फिर अमेरिकी प्रशासन क्यों इस मामले में हस्तक्षेप कर रहा है? उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत ने इस मामले में अमेरिकी अधिकारियों का प्रत्यर्पण करने से इनकार किया, तो बाइडेन प्रशासन का अगला कदम क्या होगा? इस मामले ने भारत-अमेरिका के रिश्तों पर एक नया सवाल खड़ा कर दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि बाइडेन प्रशासन इस चुनौती का कैसे जवाब देता है।
COMMENTS