डीएम मेधा रूपम ने सूरजपुर वेटलैंड का निरीक्षण कर प्रवासी पक्षियों, पर्यावरण संरक्षण और इको-टूरिज्म विकास हेतु दिए दिशा-निर्देश। वन विभाग ने बताया — जल्द ही यहां इको-लर्निंग सेंटर व बर्ड वॉचिंग ट्रेल्स विकसित होंगे।
प्रकृति की गोद में बसा सूरजपुर वेटलैंड आज एक बार फिर प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र बना, जब जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर मेधा रूपम स्वयं यहां पहुंचीं और इस प्राकृतिक धरोहर का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने यहां सर्दियों के मौसम में आने वाले प्रवासी पक्षियों का अवलोकन किया और वेटलैंड क्षेत्र में जैव विविधता संरक्षण, सौंदर्यकरण और स्वच्छता से जुड़े कार्यों की समीक्षा की।
सुबह की सुनहरी किरणों के बीच जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वेटलैंड के पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने हेतु पौधारोपण, जल गुणवत्ता सुधार, और स्वच्छता कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को एक आदर्श इको-टूरिज्म मॉडल के रूप में विकसित किया जाए, जिससे पर्यटक प्राकृतिक सुंदरता के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश लेकर जाएं।

निरीक्षण के दौरान प्रभागीय वन अधिकारी रजनीकांत मित्तल ने डीएम को वेटलैंड में चल रहे संरक्षण कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा और झील के सौंदर्यकरण कार्यों को तेज गति से आगे बढ़ाया जा रहा है। साथ ही, वन विभाग ने अपनी आगामी योजना साझा की — जिसमें नेचर वॉक ट्रेल्स, गाइडेड बर्ड वॉचिंग जोन, और एक इको-लर्निंग सेंटर की स्थापना शामिल है।
डीएम मेधा रूपम ने सख्त लहजे में कहा, “किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सूरजपुर वेटलैंड हमारी पर्यावरणीय धरोहर है, इसका संरक्षण सामूहिक जिम्मेदारी है।”
सूरजपुर वेटलैंड अब केवल एक झील नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिक पर्यटन का सजीव प्रतीक बनता जा रहा है।
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