गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में 22 सितम्बर 2025 को तीन अंतरराष्ट्रीय शोधार्थियों की पीएच.डी. वाइवा परीक्षा का आयोजन हुआ। मूल्यांकन दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के विख्यात विद्वान प्रो. के. टी. एस. साराओ ने किया।
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन एवं सभ्यता संकाय (USoBSC) में रविवार सुबह 10 बजे स्कूल ऑफ मैनेजमेंट बिल्डिंग में अंतरराष्ट्रीय शोधार्थियों की पीएच.डी. वाइवा-वोसे परीक्षा आयोजित की गई।
इस मूल्यांकन का नेतृत्व किया विश्वविख्यात बौद्ध विद्वान प्रो. के. टी. एस. साराओ ने, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के प्रोफेसर हैं। उन्हें पाली, बौद्ध इतिहास, एंगेज्ड बौद्धिज़्म और बौद्ध पुरातत्त्व के क्षेत्र में असाधारण योगदान हेतु राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया जा चुका है। साराओ ने दिल्ली और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि ली है तथा तीन बार डी.लिट. की मानद उपाधि से अलंकृत किए गए हैं। वे भारत और विदेश की कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर भी रह चुके हैं।

इस आयोजन का समन्वय डॉ. ज्ञानादित्य शाक्य ने किया और बाह्य विशेषज्ञ का परिचय डॉ. चंटाला वेंकट शिवसाई ने कराया। तीनों शोधार्थियों ने अपना कार्य प्रो. अरविन्द कुमार सिंह के निर्देशन में पूरा किया। प्रो. सिंह इस समय लुम्बिनी बौद्ध विश्वविद्यालय, नेपाल में आईसीसीआर चेयर पर विजिटिंग प्रोफेसर हैं।

शोधार्थी और उनके विषय:
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भिक्षु गुयेन मिन्ह चिन्ह (वियतनाम): चीन में महायान बौद्ध धर्म का विकास (प्रथम–छठी शताब्दी ई.)
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भिक्षुणी माई थी दीएम (वियतनाम): आधुनिक शाक्यधीताएँ: संलग्न बौद्ध महिलाओं का अध्ययन
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भिक्षु अरनंदर/असिन आनंद (म्यांमार): बौद्ध धर्म में कृतज्ञता और माइंडफुल पैरेंटिंग
सत्र में शोधार्थियों, स्नातकोत्तर छात्रों और संकाय सदस्यों डॉ. प्रियदर्शिनी मित्रा और डॉ. मनीष मेश्राम सहित कई विद्वान उपस्थित रहे।
संकाय सदस्यों ने कहा कि ऐसे आयोजन विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय पहचान को मजबूत कर रहे हैं और इसे बौद्ध अध्ययन एवं अंतर-सांस्कृतिक सहयोग का अग्रणी केंद्र स्थापित कर रहे हैं।
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