उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा आयोजित 11 दिवसीय अभिरुचि पाठ्यक्रम का समापन लखनऊ में हुआ। समापन समारोह में प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया और भारतीय लघु चित्रकला की परंपरा पर रोचक व्याख्यान हुआ।
उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग, लखनऊ द्वारा आयोजित 11 दिवसीय अभिरुचि पाठ्यक्रम का शनिवार को सफल समापन हुआ। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह मौजूद रहीं। उन्होंने असाइनमेंट प्रतियोगिता में श्रेष्ठ पाँच प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान किए। इसके अलावा सभी लगभग 230 प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक रेनू द्विवेदी ने की। उन्होंने इस पाठ्यक्रम को ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाला बताया।
समापन से पहले दो विशेष सत्र आयोजित हुए, जिनमें डॉ. विजय माथुर (सलाहकार, UPSC, नई दिल्ली) ने “भारतीय लघु चित्रकला का इतिहास एवं शैली” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि लघु चित्रकला की परंपरा गुप्त युग और अजंता से शुरू होकर जैन-बौद्ध ग्रंथों से विकसित हुई। मुगल काल में इसे स्वर्णयुग प्राप्त हुआ और बाद में राजस्थान, पहाड़ी व दक्कन शैलियों में इसका विस्तार हुआ।

समापन समारोह में मुख्य अतिथि प्रो. सिंह ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समझने का अवसर देते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक इसे सुरक्षित रखने की प्रेरणा भी देते हैं।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मनोज कुमार यादव ने किया। इस अवसर पर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ज्ञानेंद्र कुमार रस्तोगी, बलिहारी सेठ, अभयराज सिंह, संतोष कुमार सिंह, आशीष कुमार, अकील खान, मयंक, अभिषेक कुमार, हिमांशु, निर्भय सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
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