भारत और फ्रांस ने सोमवार को नई दिल्ली में 63,000 करोड़ रुपये के रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारतीय नौसेना को 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान मिलेंगे। यह ऐतिहासिक करार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की स्वीकृति के बाद अंतिम रूप से संपन्न हुआ। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल के स्वामीनाथन ने भारत की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर किए, जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समारोह में मौजूद रहे। सौदे के तहत भारत को न केवल विमान, बल्कि उनसे जुड़ी हथियार प्रणालियां और कलपुर्जे भी प्राप्त होंगे। राफेल मरीन जेट आईएनएस विक्रांत जैसे भारतीय विमानवाहक पोतों पर तैनात किए जाएंगे और वर्तमान मिग-29के बेड़े को मजबूती प्रदान करेंगे। डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित इन विमानों की डिलीवरी अनुबंध पर हस्ताक्षर के लगभग पांच साल बाद शुरू होगी। 2016 में भारत ने वायु सेना के लिए पहले ही 36 राफेल विमान खरीदे थे; अब इस नए सौदे से कुल राफेल विमानों की संख्या 62 हो जाएगी, जिससे भारत के 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू बेड़े में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा क्षेत्रीय तनाव को देखते हुए नौसेना के लिए इन आधुनिक लड़ाकू विमानों की तत्काल जरूरत थी। इस कदम से भारत की समुद्री रक्षा क्षमता को नई मजबूती मिलेगी और क्षेत्रीय रणनीतिक संतुलन में उसका प्रभाव और अधिक बढ़ेगा।

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