
कभी दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति रहे अनिल अंबानी आज एक बार फिर जांच एजेंसियों के घेरे में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने यस बैंक लोन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़ी कंपनियों और मुंबई स्थित ठिकानों पर लगातार तीसरे दिन भी छापेमारी की।ईडी की जांच में सामने आया है कि 2017 से 2019 के बीच अनिल अंबानी की कंपनियों को यस बैंक द्वारा 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का लोन दिया गया, जिसे कथित रूप से शेल कंपनियों और ग्रुप की अन्य इकाइयों में ट्रांसफर कर गबन किया गया। इस कर्ज घोटाले में यस बैंक के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और प्रमोटरों पर रिश्वत लेने के भी आरोप हैं।
अनिल अंबानी की वित्तीय स्थिति पिछले एक दशक में बुरी तरह डगमगाई है। 2008 में 42 बिलियन डॉलर की नेटवर्थ और कई कंपनियों के ऊंचे मार्केट कैप के साथ वह ग्लोबल अमीरों की लिस्ट में छठे स्थान पर थे। उस समय रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस पावर, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस एनर्जी और आरएनआरएल का बाजार पूंजीकरण लाखों करोड़ रुपये था।लेकिन आज स्थिति ये है कि रिलायंस पावर का मार्केट कैप 23,458 करोड़ रुपये और रिलायंस इन्फ्रा का 13,549 करोड़ रुपये रह गया है। फरवरी 2020 में यूके की एक अदालत में अनिल अंबानी ने खुद को कंगाल घोषित करते हुए कहा था, “मेरी नेटवर्थ ज़ीरो है, मेरी पत्नी और परिवार मेरे खर्च चला रहे हैं, मेरे पास कोई निजी यॉट, जेट या कार नहीं है।”
रिलायंस ग्रुप की कई कंपनियां दिवालिया प्रक्रिया से गुजर चुकी हैं। एसबीआई ने अनिल अंबानी और रिलायंस कम्युनिकेशंस को फ्रॉड घोषित कर दिया है। कर्ज में डूबी इन कंपनियों के चलते बैंकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। समाधान प्रक्रिया के तहत बैंकों को मात्र 1% से 37% तक ही रिकवरी मिल सकी है।ईडी की यह कार्रवाई सिर्फ आर्थिक अपराध ही नहीं, बल्कि एक कभी चमकते कारोबारी साम्राज्य के पतन की भी कहानी कहती है।