लखनऊ | 15 मई 2025
एसजीपीजीआई लखनऊ के न्यूरोलॉजी विभाग ने चिकित्सा की दुनिया में एक क्रांतिकारी कदम उठाया है – एक समर्पित 10-बेड की 'इस्केमिक स्ट्रोक यूनिट' का उद्घाटन आज ईएमआरटीसी बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर किया गया। यह यूनिट राज्य में अपनी तरह की पहली सुविधा है, जिसका उद्देश्य है – ‘समय ही मस्तिष्क है’ के सिद्धांत पर जीवन और चेतना को बचाना।
मुख्य अतिथि: निदेशक प्रो. राधाकृष्ण धीमन
इस ऐतिहासिक उद्घाटन में मेडिकल बिरादरी की कई जानी-मानी हस्तियाँ मौजूद रहीं, जिनमें प्रो. जयंती कलिता (एचओडी, न्यूरोलॉजी), प्रो. देवेंद्र गुप्ता (सीएमएस), प्रो. प्रशांत अग्रवाल (एमएस), प्रो. अर्चना गुप्ता (एचओडी, रेडियोलॉजी), प्रो. आर.के. सिंह (एचओडी, आपातकालीन चिकित्सा), प्रो. विमल के. पालीवाल, प्रो. विवेक के. सिंह, प्रो. विनीता समेत कई वरिष्ठ विशेषज्ञ शामिल रहे।

कैसे काम करेगी स्ट्रोक यूनिट?
यह यूनिट मुख्य रूप से इस्केमिक स्ट्रोक के मरीजों के लिए बनाई गई है – वे मरीज जिनके मस्तिष्क को रक्त आपूर्ति करने वाली वाहिकाओं में रुकावट के कारण शरीर के आधे हिस्से में कमजोरी, दृष्टि में धुंधलापन, बोलने में अटकाव या संतुलन में गड़बड़ी आती है।
6 घंटे का सुनहरा समय:
यदि मरीज स्ट्रोक की शुरुआत के 6 घंटे के भीतर यूनिट में पहुंचता है, तो उसे या तो थ्रोम्बोलिसिस दवा दी जाती है (जो अवरुद्ध रक्त वाहिका को खोलती है), या फिर इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विशेषज्ञ मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी के माध्यम से रक्त का थक्का हटाते हैं।
फास्ट ट्रैक सुविधा – 'डायग्नोस, डिसाइड, डिलीवर'
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मरीज जैसे ही आपातकालीन विभाग में पहुंचता है, तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट और इमरजेंसी डॉक्टर एक्टिव हो जाते हैं।
तेजी से क्लिनिकल जांच, ब्लड टेस्ट और CT स्कैन किया जाता है।
स्कैन से अगर ब्लीडिंग नहीं पाई गई तो इलाज तुरंत शुरू होता है।
पास में ही स्थित CT और DSA सूट, यूनिट को देता है 'जीरो टाइम लॉस' इमेजिंग एडवांटेज।
प्रयोगशाला जांच यूनिट के पास, जिससे समय और जीवन दोनों बचें।

जनजागरण – समय ही है ‘स्मृति-संरक्षक’
मई माह को स्ट्रोक अवेयरनेस मंथ और 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस के रूप में मनाया जाता है। अब जब थ्रोम्बोलिसिस और थ्रोम्बेक्टोमी जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, तो जनता को जागरूक होना चाहिए कि स्ट्रोक अब ‘लाइफ लॉन्ग विकलांगता’ नहीं बल्कि ‘ट्रीटेबल मेडिकल इमरजेंसी’ है।
लक्षण पहचानें: हाथ-पैर-चेहरे की कमजोरी, हकलाना, संतुलन में गड़बड़ी, दृष्टि धुंधलापन – तुरंत अस्पताल पहुंचें, हर मिनट अनमोल है।
SGPGI की यह पहल उत्तर प्रदेश में स्ट्रोक इलाज को नई दिशा देगी – जहाँ 'समय' ही 'स्मृति', 'भविष्य' और 'जीवन' है।
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