03 अक्टूबर 2025 को नोएडा प्राधिकरण की 219वीं बोर्ड बैठक चेयरमैन निधि कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में अधूरी हाउसिंग परियोजनाओं पर 5758 क्लॉज रजिस्ट्री, फंसी परियोजनाओं के वित्तीय समाधान, सीवर ट्रीटमेंट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े अहम फैसलों पर मुहर लगी।
नोएडा प्राधिकरण की 219वीं बोर्ड बैठक चेयरमैन निधि कुमार की अध्यक्षता में आयोजित हुई, जिसमें औद्योगिक विकास विभाग, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और अन्य विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिनका सीधा असर हाउसिंग योजनाओं, बुनियादी ढांचे और पर्यावरणीय प्रबंधन पर होगा।
बैठक के मुख्य निर्णय:
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अधूरी हाउसिंग परियोजनाएँ:
57 परियोजनाओं की समीक्षा की गई, जिनमें से 35 ने सफलतापूर्वक नीति-2023 का लाभ उठाया। कुल 556.73 करोड़ रुपये की राशि जमा की गई, जिसके तहत करीब 5758 फ्लैट्स की रजिस्ट्री सुनिश्चित होगी। 3724 फ्लैट्स की रजिस्ट्री पहले ही पूरी की जा चुकी है। हालांकि, 10 बिल्डरों ने सहमति के बावजूद भुगतान नहीं किया और 13 डेवलपर्स ने आंशिक जमा किया।
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टेंडरिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता:
प्राधिकरण ने फाइनेंशियल और टेक्निकल सपोर्टिंग कंसल्टेंट्स (Project Monitoring, Contract Management, Valuation आदि) को शामिल करने का फैसला लिया, जिससे निविदा प्रक्रिया पारदर्शी और प्रभावी हो सके।

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अवैध हाउसिंग प्लॉट:
12 वर्षों से अधिक समय तक खाली रहने वाले भूखंडों पर निर्माण न होने पर उन्हें रद्द करने का निर्णय लिया गया। निर्माण अधूरा होने पर मालिकों को 6 महीने का अंतिम अवसर मिलेगा।
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वेस्ट मैनेजमेंट:
300 TPD क्षमता वाला Integrated Municipal Solid Waste Management Plant स्थापित करने को मंजूरी दी गई।
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STP रेट्रोफिटिंग:
NGT और CPCB के दिशा-निर्देशों के तहत 4 STP (Sector 50, 54, 123 और 168) का अपग्रेडेशन 87.6 करोड़ रुपये की लागत से होगा।

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सीवेज प्रबंधन:
24 ड्रेनों में सुधार हेतु FBAS टेक्नोलॉजी अपनाने और NEERI व CPCB की सिफारिशों को लागू करने पर सहमति बनी।
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पुलिस स्टेशन हेतु भूमि आवंटन:
सेक्टर-143 में 4000 वर्गमीटर भूमि पुलिस स्टेशन निर्माण हेतु आवंटित की गई।
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नए नियमन:
Unified Regulations 2025 के तहत संस्थागत भवन, सीनियर सेकेंडरी स्कूल और नर्सिंग होम जैसी योजनाओं की ब्रॉशर को मंजूरी दी गई।
इन निर्णयों से न केवल नोएडा की हाउसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को रफ्तार मिलेगी बल्कि पर्यावरणीय प्रबंधन और शहरी स्वच्छता में भी बड़ा सुधार होगा।
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